Monday, April 3, 2017

हमारे महापुरुष:शिव की एक भक्तिन ऐसी भी, जिसने पूरा जीवन निर्वस्त्र होकर की शिव की भक्ति

 

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कौन थी अक्का महादेवी


अक्का महादेवी वीरशैव धर्म से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं। शिव को वह अपने पति के रूप में देखती थीं। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था।

जन्म
इनका जन्म बारहवीं शताब्दी में हुआ था। 10 वर्ष की आयु में ही उन्हें शिवमंत्र में दीक्षा प्राप्त हुई थी। इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। अक्का महादेवी ने अपने सलोने प्रभु का सजीव चित्रण अनेकों कविताओं में किया है। उनका कहना था कि वह केवल नाम मात्र की ही स्त्री हैं, किन्तु उनका देह, मन, आत्मा सब शिव का है। अक्का महादेवी ने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, इन्हें वीरशैव धर्म के अन्य संतों, जैसे- बसव, चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा उच्च स्थान दिया गया था।

विवाह :
अक्का महादेवी बहुत सुन्दर स्त्री थी। एक दिन वहां के राजा की नजर उस पर पड़ी तो राजा ने उसके सामने विवाह प्रस्ताव रखा। पर अक्का महादेवी शिव को पहले से अपना पति मान चुकी थी। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था। अक्का ने शादी के लिए मना कर दिया की वो एक पति के होते हुए कैसे शादी कर सकती है।   पर राजा के कोप के कारण अक्का महादेवी के परिवार वालो ने उसकी शादी जबरदस्ती करा दी।  किंतु अक्का ने राजा को शारीरिक रूप से दूर ही रखा। उनका बस यही कहना था कि उनका विवाह पहले ही शिव से हो चुका है। राजा ने परेशान होकर एक दिन अक्का को अपनी राजसभा में बुलाया और राजसभा से फैसला करने को कहा। जब सभा में अक्का से पूछा गया तो वह यही कहती रहीं कि उनके पति कहीं और हैं।

 राजा को  क्रोध आ गया की वो इतने लोगो के सामने भी यही कह रही की उसका पति कही और है। तो राजा ने क्रोध में आकर कहा की  ‘अगर तुम्‍हारा विवाह किसी और के साथ हो चुका है तो तुम मेरे साथ क्या कर रही हो? चली जाओ।’ अक्का ये सुनकर वहां से चल पड़ीं।

 जब राजा ने देखा की ये बिना परेशानी के उसे छोड़ की जा रही है तो उसने कहा, ‘तुमने जो कुछ भी पहना हुआ है, गहने, कपड़े, सब कुछ मेरा है। राजसभा के सामने ही अक्का ने अपने सभी वस्त्र उतार दिए और वहां से निर्वस्त्र ही चल पड़ी।


निधन:
अक्का महादेवी पुरे जीवन भर निर्वस्त्र ही रहीं और एक महान संत के रूप में प्रसिद्धि पायी उनका निधन कम उम्र में ही हो गया था, लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने शिव और उनके प्रति अपनी भक्ति के बारे में सैकड़ों खूबसूरत कविताएं लिखीं।


अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जाता है।

अक्क महादेवी और मीरा के जीवन को देखें तो दोनों के जीवन में हमें काफ़ी साम्य नज़र आता है। मीरा और अक्क महादेवी दोनों ने ही ईश्वर को अपना आराध्य माना था। दोनों ने ही वैवाहिक जीवन को तोड़ा था। दोनों ने ही उस समय की प्रचलित सामाजिक मर्यादाओं को नहीं माना था। दोनों के वचनों और पदों के भाव आपस में मिलते-जुलते हैं। दोनों ही सांसारिकता को तजकर प्रभु भक्ति में लीन होना चाहती थी। अत: दोनों में ही समर्पण का भाव होने के कारण हम यह कह सकते हैं कि अक्क महादेवी कन्नड़ की मीरा थी।

#वैदिक_भारत



साभार : राष्ट्रवादी भाई श्री गणेश चौधरी

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