मृत्युकालकी
सब सामग्री तैयार है । कफन भी तैयार है, नया नहीं बनाना पड़ेगा । उठानेवाले
आदमी भी तैयार हैं, नये नहीं जन्मेंगे । जलानेकी जगह भी तैयार है, नयी
नहीं लेनी पड़ेगी । जलानेके लिये लकड़ी भी तैयार है, नये वृक्ष नहीं लगाने
पड़ेंगे । केवल श्वास बन्द होनेकी देर है । श्वास बन्द होते ही यह सब
सामग्री जुट जायगी , फिर निश्रिन्त कैसे बैठे हो?
।। श्रीहरिः ।।
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