Friday, April 14, 2017

क्या हम बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर को उनके जन्मदिन पर, समर्थ हिन्दू अखंड भारत वाला उपहार दे सकते है ?

 

बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर, जन्मदिन, उपहार,Dr.B.R. Ambedkar,Bheemrav Ambedkar,Birth anniversary,Gift

जो ज्ञान आज हमें प्राप्त हो रहा है, वह ज्ञान भारत रत्न डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी को  ७० वर्ष पहले ही हो गया था, उन्होंने दलित और वंचित को मुख्यधारा में लाने का जो प्रयास किया था उसका  बहुत बड़ा उद्देश्य था | बाबा साहब चाहते थे कि हिन्दू भी समर्थ हो, क्यों की बाबा साहब जानते थे की "समर्थ हिन्दू सशक्त भारत" की परिकल्पना तभी सार्थक हो सकती है जब तमाम हिन्दू एक मंच पर बैठें | दलित और वंचित को मुख्य धारा में लाकर एक मंच पर बिठाना ही इसका एक मात्र उपाय था | जाति भेद को ख़त्म करके इस परिकल्पना को साकार करने के लिए बाबा साहब ने जीवन पर्यन्त परिश्रम किया |

किन्तु स्थिति ज्यादा बदली नहीं और निम्न सोच ने इस परिकल्पना को साकार नहीं होने देने का भरसक प्रयत्न किया | आरक्षण व्यवस्था के मूल ढांचे ने इस आग में घी का काम किया, सत्तासीन राजनीतिक दलों ने इस आरक्षण व्यवस्था को राजनीतिक हथियार बनाकर सवर्णों और वंचितों के बीच में एक बड़ी खाई का सूत्रपात किया, वंचितों को दया का पात्र बना दिया, और सवर्णों को यह अहसास करवाने का भरसक प्रयत्न किया की दलित आपके मित्र नहीं शत्रु है, आपके हिस्से के तमाम साधन और संसाधन दलितों के होने वाले हैं | सवर्णों ने भी बिना सोचे समझे इस खाई को सहर्ष स्वीकार किया और लग गए देश को बांटने में, बिना यह जाने की यह खायी केवल राजनीतिक खाई है और हिन्दू को एक होने के बजाय अलग अलग बांटने का काम कर रही है |

बड़ा ही दुर्भाग्य रहा कि बाबा साहब की हिन्दू एकता स्थापित करने वाली अद्भुत परिकल्पना को राजनीतिक दलों ने वोट बैंक के लिफ़ाफ़े में बंद करके परोसा, और आज हालात ये है की दलित तो थोड़े बहुत मुख्य धारा में आ गए लेकिन पूरा हिन्दू समाज देश की मुख्यधारा से वंचित ही रह गया |

आज बाबा साहब होते तो बड़ा दुःख होता उनको कि जिस हिन्दू समाज को एक करने के लिए उन्होंने जीवन भर प्रयास किया आज पुनः जातिगत भेदभाव और वैमनष्य का शिकार है और स्थिति यहां पहुँच गई कि राष्ट्र का हित के बजाय राष्ट्र विभक्त हो गया |

आज अगर हम यह प्राण करें कि हम सभी केवल हिन्दू है, कोई दलित नहीं है, कोई वंचित नहीं है, कोई सवर्ण नहीं है,  सब एक ही समाज"हिन्दू समाज"  का हिस्सा है, और हिन्दुस्तान के गौरव के लिए सदैव एक मंच पर ही रहेंगे | तो मेरे विचार से यह प्राण ही बाबा साहब को उनके जन्मदिवस की सच्ची भेंट और सच्चा उपहार होगी |

No comments:
Write comments