फिर से जेहादी झूले में, झूल गए हो हामिद क्या?
संवैधानिक पद की गरिमा, भूल गए हो हामिद क्या?
संविधान का धर्म राष्ट्र है, सिर्फ एक इस्लाम नहीं!
राज्यसभा के सभापति हो, तुम बंगालीे ईमाम नहीं !!
पहले से ही झुके शीश को, शर्म सिखाने निकले हो !
राष्ट्रगीत के दुश्मन होकर, धर्म सिखाने निकले हो !!
देशद्रोह या देशप्रेम का, एक रास्ता चुन लेना,!
अनुज की ये घोर गर्जना, कान खोलकर सुन लेना !!
खूब मोम हमने पिघलाया, चर्चो के उजियारो पर !
हमने चादर खूब चढ़ाई, सैय्यद के दरबारों पर !!
हिन्दू वो है जिसने बाँधा, सकल विश्व को बाहों में !
मुस्लिम से ज्यादा हिंदू हैं, हाजी की दरगाहो में !!
जो घर की पहली रोटी, गौ माँ को भोग लगाता हो !
जो भोजन करने से पहले, पंचयज्ञ करवाता हो !!
जिसने बन्दर को भी अपने, चने खिला कर पाला हो !
जिसने छोटी सी चींटी तक को, मीठा आटा डाला हो !!
जिसने पानी भी नहीं पिया, चिड़िया के खाने से पहले !
डूब मरो उस हिन्दू पर ,आरोप लगाने से पहले !!
भारत तेरे दंशों को अब, और नहीं सह सकता है !
आक्रोशित हो अनुज यही, बस इतना ही कह सकता है !!
नालों ने गाली दी है, माँ गंगा सी पावित्री को !
और वैश्या पढ़ा रही है, पाठ सती सावित्री को !!
भारत को मुगलिस्तान, बनाने की तैयारी बंद करो !
उपराष्ट्रपति हो, एक कौम की ठेकेदारी बंद करो !!
हामिद तेरा सूरज, जाने वाला है अस्ताचल में !
मुसलमान खुश रह सकता है, भारत माँ के आँचल में !!
जुटे हुए हो इस्लामी, शासन की धाक बनाने में !
कूद पड़े हो भारत को, जलता ईराक बनाने में !!
क्योंकि तुमसे राष्ट्रभक्ति का, धरम नहीं हो सकता है !
जैसे कुत्तों को देशी घी, हजम नहीं हो सकता है !!
अलगाववाद के बर्तन की, अब दाल नहीं गलने देंगे !
अब पृथ्वी गौरी को, सत्रह चाल नहीं चलने देंगें !!
तुमको शीश झुकाना होगा भारत की परिपाटी पर !
इस्लाम सुरक्षित है तो केवल श्री राम की माटी पर !!
असहिष्णुता : एक कट्टर उपराष्ट्रपति को एक राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री का सटीक जवाब
हमारे महापुरुष : अमर बलिदानी खुदीराम बोस के बलिदान-दिवस ११ अगस्त पर शत शत नमन
साभार: राष्ट्रवादी भाई श्री नरेंद्र कुमार
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