Monday, August 14, 2017

राजनीति में गिरते मूल्यों की पराकाष्ठा है ममता बनर्जी का यह कुकृत्य,क्या यह राष्ट्रद्रोह नहीं है ?

 

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पिछले कुछ वर्षों में राजनीति एक बहुत ही रोचक मोड़ पर आ चुकी है, विशेषतः २६ मई सं २०१४ अर्थात मोदी की सत्ता में आने के बाद से।  आज देश में स्थिति ये है की पूरे देश के राजनीति में दो धड़े हो चुके है मोदी समर्थक राजनीति और मोदी विरोधी राजनीति। 

मोदी के धुरविरोधियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और कद्दावर महिला नेता ममता बनर्जी भी है, जो यदा कड़ा महगठबंधन की पैरवी करके इसका अनुभव भी करवाती रहती है। 

मोदी विरोध की राजनीति करते करते आज ममता बनर्जी ने राजनीतिक विरोध की पराकाष्ठा भी पार कर दी, और केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश के विद्यालयों में विशेष योजनाबद्ध तरीके से मनाए जाने वाले राष्ट्रीय पर्व की भी खिलाफत करते हुए सभी सरकारी विद्यालयों को साफ़ साफ़ शब्दों में कह दिया की मोदी सरकार की किसी भी सूचना को नहीं मानें और स्वतन्त्रता दिवस को अपने ढंग से मनाएं।



अब आपको यह भी बता देते है की मोदी सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आखिर ऐसा क्या आदेश निकाला था की ममता बनर्जी को आनन फानन में इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा ?

एमएचआरडी ने परिपत्र के माध्यम से प्रत्येक स्कूल को ९ से ३० अगस्त तक "संकल्प से सिद्धि कार्यक्रम" की व्यवस्था करने के लिए कहा था।  यह कार्यक्रम स्वतंत्रता संग्राम या युद्ध में अथवा आतंकवादी घटनाओं में हुए शहीदों के सम्मान हेतु निर्मित शहीद स्मारक अथवा स्थानीय स्कूलों में  पूर्ण किया जाना था।   कार्यक्रम के रूपरेखा के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह भी होना चाहिए, जहां सभी शिक्षकों और छात्रों को गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिकता और जातिवाद की पांच समस्याओं से देश को  २०२२ तक समाप्त करने की प्रतिज्ञा करनी प्रस्तावित है, जब तक हमारा देश आजादी की ७५ सालगिरह मना रहा होगा।
 
शहर के एक शिक्षक ने कहा कि , "मंत्रालय ने हमें शपथ देने की एक प्रति भेजी। यह एक शिक्षक या कार्यक्रम के अतिथि के द्वारा दिलाई जाना था।" इसके अलावा, स्कूलों को क्विज़ और पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित करना भी प्रस्तावित था, जिसका विषय भारत की स्वतंत्रता आंदोलन होगी।"

पश्चिम बंगाल के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी ने कहा कि "राज्य की ममता सरकार ने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की कोशिशों के लिए काउंटर-सर्कुलर जारी करने के लिए मजबूर किया था।" 
ममता की मानें तो देश भक्ति किसी से जबरदस्ती नहीं करवाई जा सकती।

वाह री राजनीति ,और कितना गिरेगी। .. 

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