Saturday, August 5, 2017

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ:विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन का विस्तृत परिचय हर राष्ट्रवादी को अवश्य पढ़ना चाहिए

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,RSS,स्वयंसेवी संगठन,विस्तृत परिचय,राष्ट्रवादी,RSS,Rashtriya Swayam Sevak Sangh,Introduction,contribution,india "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" अर्थात "आरएसएस" विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। यह संघ या आरएसएस के नाम से अधिक लोकप्रिय है। इसका मुख्यालय महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में स्थित है।
आज से ९२ वर्ष पहले अर्थात २७ सितम्बर १९२५  को आश्विन शुक्ल दशमी,विक्रम सम्वत १९८२  अर्थात विजया दशमी के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव परमपूज्य डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा रखी गयी थी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा जो कि नागपुर के मोहितों के बड़े में लगी थी उसमें मात्र ५  लोग सम्मिलित हुए थे। आज पूरे भारत वर्ष  में १ लाख से अधिक शाखाएं और उनसे जुड़े करोड़ो स्वयंसेवक हैं रोज शाखा में जाते है। जैसा की विदित है संघ की पहली शाखा में सिर्फ ५  स्वयंसेवक  सम्मिलित हुए थे, जिसमें सभी बच्चे थे उस समय में लोगों ने हेडगेवार जी का मजाक उड़ाया था कि बच्चों को लेकर क्रांति करने आए हैं लेकिन अब संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी और राष्टवादी हिंदू संगठन है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पत्रिकाएँ देश में करोड़ो लोग पढ़ते हैं। अंग्रेजी में “आर्गेनाइजर” और हिंदी में “पांचजन्य” संघ के मुखपत्र हैं | इसके अलावा किशोर और बाल पत्रिका “देवपुत्र” का भी संपादन संघ के द्वारा होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छोटे बड़े लगभग ६० अनुसांगिक संगठन हैं जो संसार भर में फैले हैं |
सेवा भारती, सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, मजदूर संघ, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संगत जैसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही घटक हैं ।


महात्मा गाँधी ने १९३४ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर की यात्रा के दौरान वहाँ पूर्ण अनुशासन देखा और छुआछूत की अनुपस्थिति पायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने संघ की मुक्त कंठ से प्रशंसा  की थी |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संसार का एकमात्र ऐसा संगठन है जिसमें आज तक भ्रष्टाचार अथवा  अनैतिकता की स्थिति नहीं आई ।

इस समय संघ-विचार परिवार द्वारा करीब २५,०२८ सेवा-प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। ये प्रकल्प देश के ३० प्रांतों में 11,४९८ स्थानों पर चल रहे हैं। ये सेवा कार्य भिन्न-भिन्न क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक, आर्थिक विकास व अन्यान्य क्षेत्र, जिनमें क्रमश: ३,११२, १४,७८३, ३,५६३, १,८२० और १,७५० सेवा-कार्य चल रहे हैं।

भौगोलिक दृष्टि से १६,१०१ सेवा कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में, ४,२६६ वनवासी क्षेत्रों में, ३,४१२ सेवा बस्तियों में और शेष स्थानों पर १,२४९ सेवा कार्य चल रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ११,३९६ प्रकल्पों के अलावा वनवासी कल्याण आश्रम के ४,९३५, विश्व हिन्दू परिषद के ४,१२९, विद्या भारती के ३,९८०, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के २२७, भारत विकास परिषद के १५०, दीनदयाल शोध संस्थान के १२५ और राष्ट्र सेविका समिति के ८६ सेवा प्रकल्प चल रहे हैं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्पों से १२,००,५६,७९ लोग लाभान्वित हो रहे हैं, विद्या भारती से १७,६७,३६,२३, विश्व हिन्दू परिषद से १२,०४,२८२, वनवासी कल्याण आश्रम के प्रकल्पों से १३,९६,६५९, भारत विकास परिषद् से ९३,५३२, राष्ट्र सेविका समिति से २६,१३६, दीनदयाल शोध संस्थान से ४५,५५०, भारतीय मजदूर संघ से ३३,८०० और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के सेवा-प्रकल्पों से २२,९३४ लोगों को लाभ पहुंच रहा है

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कार्यप्रणाली बड़ी ही अद्वितीय और अनुशासनबद्ध होती है।  व्यक्ति द्वारा संगठन के प्रति दिए जा रहे समय और योगदान के आधार पर इस संगठन में दायित्व दिए जाते है, और मिले हुए दायित्व के आधार पर ही स्वयं सेवक को संघ के संविधान के अनुरूप संघ विस्तार का कार्य करना अपेक्षित होता है जिसका कोई लिखित प्रमाण नहीं होता।  संघ के दायित्वों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है।    

 
“स्वयंसेवक”
इस शब्द का अर्थ होता है- स्वेच्छा से काम करने वाला। संघ के विचारों को मानने वाले और नियमित तौर पर शाखा में जाने वाले लोगों को संघ का स्वंयसेवक कहा जाता है।
“प्रचारक”
ये संघ के लिए पूर्णकालिक तौर पर काम करते हैं। संघ के लिए काम करने के दौरान इन्हें अविवाहित रहना होता है। ये किसी भी पारिवारिक जिम्मेदारी से दूर रहते हैं।
“विस्तारक”
ये ऐसे स्वयंसेवक होते हैं जो गृहस्थ जीवन में रहकर ही संगठन के विस्तार की दिशा में काम करते हैं। इनका काम किशोरों को संघ के साथ जोड़ने का होता है।
“सरसंघचालक”
संघ का सबसे बड़ा पदाधिकारी सरसंघचालक कहलाता है। वर्तमान में परम पूजनीय श्री मोहन भागवत आरएसएस के सरसंघचालक हैं।सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होती है। प्रत्येक सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है। इसकाे अलावा, शीर्ष पदाधिकारियों में
सरकार्यवाह
अर्थात जनरल सेक्रेटी होते हैं। सर कार्यवाह की मदद के लिए सह सरकार्यवाह होते हैं। इन्हें ज्वाइंट जनरल सेक्रेटी भी कहा जाता है।

संघ द्वारा सामाजिक सुधार और राष्ट्रहित में किये जा रहे कार्य करने हेतु कार्यरत प्रमुख आनुषंगिक  संगठनों की सूची

विद्या भारती
आरएसएस का संगठन विद्या भारती आज देश भर में ५० हजार से अधिक विद्यालयों का संचालन  करता है, लगभग पांच दर्जन शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज, चार दर्जन कॉलेज, २० से ज्यादा रोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थाएं चलाता है।
शिक्षा के साथ संस्कार देने के लिए विद्या भारती संचालित “सरस्वती शिशु मंदिर” की आधारशिला गोरखपुर में पांच रुपये मासिक किराये के भवन में पक्की बाग़ में रखकर प्रथम शिशु मंदिर की स्थापना से श्रीगणेश किया गया था।
शिशु मंदिर प्रणाली से सम्पूर्ण भारत में ८६ प्रांतीय एवं क्षेत्रीय समितियाँ विद्या भारती से संलग्न हैं। इनके अंतर्गत कुल मिलाकर २३३२० शिक्षण संस्थाओं में ६,४७,६३४ शिक्षकों के मार्गदर्शन मे करोडो छात्र-छात्राएं शिक्षा एवं संस्कार ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से ६२ शिक्षक प्रशिक्षक संस्थान एवं महाविद्यालय, ३३५३ माध्यमिक एवं १०२३ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ९३३ पूर्व प्राथमिक एवं ६३१२ प्राथमिक, ८१६४ उच्च प्राथमिक एवं ७१२७ एकल शिक्षक विद्यालय तथा ४६७९ संस्कार केंद्र हैं।
केन्द्र और राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त इन सरस्वती शिशु मंदिरों में करोड़ो छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और लाखो शिक्षक पढ़ाते हैं।


सेवा भारती:
आरएसएस का संगठन सेवा भारती देश भर के दूरदराज़ के और दुर्गम इलाक़ों में सेवा के एक लाख से ज़्यादा काम कर रहा है लगभग ३५ हज़ार एकल विद्यालयों में ३० लाख से ज़्यादा छात्र अपना जीवन संवार रहे हैं।
सेवा भारती ने हाल ही में कश्मीर से आतंकवाद से अनाथ हुए २२१ बच्चों को गोद लिया है जिनमें २०१ मुस्लिम और २० हिंदू बच्चे हैं।
दिल्ली में सेवा भारती २९८ बालवाड़ियों का संचालन करती है, जिनमें ७ वर्ष तक की आयु के १५ हजार बच्चे हैं। १९७१ में ओडिशा में आया भयंकर चंक्रवात हो अथवा भोपाल की गैस त्रासदी , 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे हो या सन २००१ में आया गुजरात का भूकंप, सुनामी की प्रलय, उत्तराखंड की बाढ़, काश्मीर की बाढ़, बर्फ़बारी और कारगिल युद्ध के घायलों की सेवा तक  संघ ने राहत सेवा और बचाव का काम हमेशा सबसे आगे होकर निस्वार्थ भाव किया है । भारत में ही नहीं अपितु नेपाल, श्रीलंका और सुमात्रा तक में RSS ने अपने सेवा प्रकल्पों से मानव मात्र की सहायता का अतुलनीय कार्य किया है।

बनवासी कल्याण आश्रम:
वर्तमान मे  भारत के  ३५ हजार गांवों के २२ लाख वनवासी बच्चों को एकल विद्यालय फाउंडेशन मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यहां न केवल बुनियादी शिक्षा दी जाती है बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गो को स्वास्थ्य, विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में इस समय २७,००० से अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं। ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे रहे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP):
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की स्थापना मुंबई में १ जुलाई १९४१ को हुई थी। इसकी स्थापना का श्रेय प्रोफेसर ओमप्रकाश बहल को जाता है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) को विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन के रूप में भी जाना जाता है। विद्यार्थी परिषद का नारा है- ज्ञान, शील और एकता। इसमें आज एक करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी सदस्य हो चुके है।

संघ-विचार परिवार द्वारा देश में दस रक्त संग्रह केन्द्र चलाए जा रहे हैं, जिनमें से एक बंगलौर में है और छह महाराष्ट्र में, केरल, असम, हैदराबाद में है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल प्रकल्पों की संख्या ४,११२  है जिनसे लाखो लोग लाभ उठा रहे है।

भारतीय किसान संघ:
भारतीय किसान संघ की स्थापना ४ मार्च १९७९ को राजस्थान के कोटा शहर में की गई। विलक्षण संगठन कुशलता के धनी, महान भारतीय तत्त्वचिंतक, आंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मजदूर नेता श्री दत्तोपंतजी ठेंगडी ने भारतीय किसानों के उत्थान हेतु इस संगठन को साकार किया।



भारतीय मज़दूर संघ१९५५ में बना  शायद विश्व का पहला ऐसा मज़दूर आंदोलन था, जो विध्वंस के बजाए निर्माण की धारणा पर चलता था कारखानों में विश्वकर्मा जयंती का चलन भारतीय मज़दूर संघ ने ही शुरू किया था आज यह विश्व का सबसे बड़ा, शांतिपूर्ण और रचनात्मक मज़दूर संगठन है।
ज़मींदारी प्रथा के ख़ात्में में संघ ने बड़ी भूमिका निभाई | राजस्थान में, जहां बड़ी संख्या में ज़मींदार थे ख़ुद कम्युनिष्ट पार्टी को यह कहना पड़ा था कि भैरों सिंह शेखावत राजस्थान में प्रगतिशील शक्तियों के नेता हैं संघ के स्वयंसेवक शेखावत बाद में भारत के उपराष्ट्रपति भी बने।
हिन्दू धर्म में सामाजिक समानता के लिये संघ ने दलितों व पिछड़े वर्गों को मन्दिर में पुजारी पद के प्रशिक्षण का पक्ष लिया है।

बजरंग दल:

इसकी शुरुआत १ अक्टूबर १९८४ को भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त से हुई जिसका बाद में पूरे भारत में विस्तार हुआ।अभी इसके १,७००,००० सदस्य हैं जिनमें ८५०,००० कार्यकर्ता शामिल हैं। संघ की शाखा की तरह ही बजरंग दल अखाड़े चलाता है जिनकी सँख्या लगभग ढाई हजार के आस पास है।



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस का इतिहास और आजादी में योगदान:
संघ के स्वयंसेवकों ने अक्टूबर १९४७ से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बगैर किसी प्रशिक्षण के लगातार नज़र रखी। चंदा जुटाकर इकट्ठा हुआ धन सेना को दिया गया जिससे वे हथियार खरीद सके। आरएसएस ने घर घर से अनाज, दाल और चावल सीमा पर जावनो के पास पहुँचाया।
जब पाकिस्तानी सेना की टुकड़ियों ने कश्मीर की सीमा लांघने की कोशिश की, तो सैनिकों के साथ सैकड़ो स्वयंसेवकों ने भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए लड़ाई में प्राण दिए थे।
विभाजन के दंगे भड़कने पर, जब नेहरू सरकार पूरी तरह हैरान-परेशान थी, संघ ने ही पाकिस्तान से जान बचाकर आए लाखो हिन्दू शरणार्थियों के लिए ४००० से ज्यादा राहत शिविर लगाए थे। चंदे के  पैसे से उनका इलाज किया, उनके खान पान की व्यवस्था की गई और बाद में उनके लिए पक्के आवासो का निर्माण भी किया गया।
१९६२ के युद्ध में सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी, प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद कर जवानों के कदम से कदम मिलाया। घायल जवानो का इलाज कराया और जवानो को महीनो तक खाना खिलाया।
१९६२ के युद्ध में सेना की मदद के कारण जवाहर लाल नेहरू को १९६३ में २६ जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर ३५०० स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हो गए।
कश्मीर के विलय हेतु सरदार पटेल ने संघ के द्वितीय सर संघचालक श्री गुरु गोलवलकर से मदद मांगी तब गुरुजी श्रीनगर पहुंचे, महाराजा से मिले इसके बाद महाराजा ने कश्मीर के भारत में विलय पत्र का प्रस्ताव दिल्ली भेज दिया।
१९६५ के पाकिस्तान से युद्ध के समय लालबहादुर शास्त्री को भी संघ याद आया था शास्त्री जी ने क़ानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने में मदद देने और दिल्ली का यातायात नियंत्रण अपने हाथ में लेने का आग्रह किया, ताकि इन कार्यों से मुक्त किए गए पुलिसकर्मियों को सेना की मदद में लगाया जा सके।
१९६५ के पाकिस्तान से युद्ध के समय देश में युद्ध के समय घायल जवानों के लिए सबसे पहले रक्तदान करने वाले भी संघ के स्वयंसेवक होते थे। संघियो ने अपना खून दिया और जवानो के प्राणों की रक्षा की। युद्ध के दौरान कश्मीर की हवाईपट्टियों से बर्फ़ हटाने का काम संघ के स्वयंसेवकों ने किया था। चोटियों पर तिरंगा गाढने का काम आरएसएस ने किया।
गोवा के विलय के समय दादरा, नगर हवेली और गोवा के भारत विलय में संघ की निर्णायक भूमिका थी २१ जुलाई १९५४ को दादरा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया, २८ जुलाई को नरोली और फिपारिया मुक्त कराए गए और फिर राजधानी सिलवासा मुक्त कराई गई।
गोवा के विलय के समय संघ के स्वयंसेवकों ने २ अगस्त १९५४ की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया, पूरा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सौंप दिया संघ के स्वयंसेवक १९५५ से गोवा मुक्ति संग्राम में प्रभावी रूप से शामिल हो चुके थे।
१९७५ से १९७७ के बीच आपातकाल के ख़िलाफ़ संघर्ष और जनता पार्टी के गठन तक में संघ की भूमिका की याद अब भी कई लोगों के लिए ताज़ा है सत्याग्रह में हजारों स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के बाद संघ के कार्यकर्ताओं ने भूमिगत रह कर आंदोलन चलाना शुरु किया।
१९७५ से १९७७ के बीच आपातकाल में जब लगभग सारे ही नेता जेलों में बंद थे, तब सारे दलों का विलय करा कर जनता पार्टी का गठन करवाने की कोशिशें संघ की ही मदद से चल सकी थीं।
आरएसएस के चौथे प्रचारक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया की आत्मकथा में लिखा है कि उत्तरप्रदेश में गौहत्या पर प्रतिबंध १९५५ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन सीएम गोविंद वल्लभ पंत ने रज्जू भैया के कहने पर ही लगाया गया था
सामाजिक समरसता के लक्ष्य को लेकर देशभर में ३५६३ प्रकल्प इस समय चल रहे हैं। महाराष्ट्र की संस्था “भटके विमुक्त विकास प्रतिष्ठान’ यहां की एक घुमन्तु जनजाति “पारदी’ के उत्थान का कार्य कर रही है। मगर सांगवी गांव में पारदियों के २५ परिवारों को बसाया गया है, उनके बच्चों को विद्यालयों में भर्ती कराया गया है। आरएसएस पर ऊँगली १०० साल से उठ रही है पर आरएसएस चढ़ता, बढ़ता और फैलता ही जा रहा है। वर्तमान में पूरे विश्व में आरएसएस में संघियो की संख्या १५००००००० के पार हो चुकी है जिससे कि राष्टवाद मजबूत हो, और भारत पुनः विश्व गुरु के सिंहासन पर विराजमान हो। 

                                                                       वन्दे मातरम

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