Friday, September 29, 2017

दशहरा पर्व : पौराणिक पर्व दशहरा, जो शुभ का प्रारम्भ और अशुभ के विनाश का साक्षी पर्व है जानिये क्यों ?

 


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बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा इस वर्ष अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि, ३० सितंबर २०१७ को मनाया जाएगा। जैसा की ज्ञात है भगवान् श्री राम और राक्षस राज रावण के मध्य १० दिनों तक चले लम्बे युद्ध के पश्चात, आश्विन शुक्ल दशमी को रावण को वीरगति प्राप्त हुई और भगवान् श्री राम को विजयी और माता सीता दोनों की प्राप्ति।  इसी की याद में दशानन को बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जाता है और असत्य पर सत्य की विजयी का यह पर्व पूरे भारतवर्ष में धूम धाम से मनाया जाता है। 

दशहरा का महत्व :
दशहरा नवरात्रों का समापन पर्व है और दीपावली का आरम्भ लेकर आता है।  दशहरे के ठीक २०  दिन बाद दीपावली आती है जो की भारत का सबसे बड़ा पर्व है।  

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दशहरा का शुभ मुहूर्त :
इस वर्ष दशहरा अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि अर्थात  30 सितंबर, शनिवार को है । दशमी तिथि का आरम्भ  29 सितंबर की रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से होगा और रात्रि 1 बजकर 30 मिनट तक दशमी तिथि रहेगी।

मंगल विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 55 मिनट तक रहेगा ।
शस्त्र पूजा का मुहूर्त -1 बजकर 23 मिनट से 3 बजकर 47 मिनट तक।


दशहरा शुभ कार्य का अबूझ मुहूर्त
दशहरा एक ऐसा पर्व है जो साढ़े तीन मुहूर्तों का संगम है, इस दिन बिना मुहूर्त, पंचांग देखें कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इस दिन जो भी कार्य प्रारम्भ किया जाता है वह शुभ होकर , उस कार्य में सफलता और विजय प्राप्त होती है।

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