३ सितम्बर से लेकर आज ७ सितम्बर तक भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने २ देशों की अति महत्वपूर्ण यात्रा का समापन किया और आज सकुशल विजयी भाव के साथ स्वदेश लौट आये। यह ५ दिवसीय बहुराष्ट्रीय दौरा भारत के लिए कूटनीतिक लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रहा। दौरे की शुरुआत चीन द्वारा प्रायोजित ब्रिक्स समिट से हुई। ३-४-५ सितम्बर को चीन में हुए ब्रिक्स देशों के सम्मलेन में भारत ने आतंकवाद सहित अन्य मुद्दों को बड़ी ही संजीदगी से रखा और सभी ब्रिक्स देशों का समर्थन प्राप्त करने में अभूतपूर्व सफलता हांसिल की। वैश्विक आतंकवाद के मुद्दे पर ऐसा करके प्रधानमन्त्री मोदी ने काँटे से काँटा निकालने का काम किया है।
चीन की धरती से भारत के प्रमुख शत्रु को चीन के ही माध्यम से पूरी विश्व बिरादरी के सामने बेनकाब करके भारत ने दोहरी कूटनीतिक सफलता अर्जित की जिसने पूरे विश्व को यह मानने के लिए मजबूर कर दिया कि भारत सच में एक उभरती महाशक्ति है। ६ और ७ तारीख को प्रारम्भ हुआ म्यांमार दौरा भी काफी अच्छे संकेत लेकर आया है। म्यांमार की चीन से बढ़ती नजदीकी हो, चाहे रोहिंग्या मुसलमानों से जुड़ा वैश्विक मुद्दा , मोदी ने म्यांमार की सुप्रीम लीडर आन सु ची के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता को बखूबी सार्थक किया है। म्यांमार के साथ भारत के रिश्ते में भी नई गर्मी देखने को मिली जो की भारत के लिए पूर्वी एशियाई कूटनीति का एक प्रमुख और जरूरी उपलब्धि है। इस यात्रा से रोहिंग्या मसले को सुलझाने में भी मदद मिल सकती है।
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