वैदिक सभ्यता में मुख्या रूप से आर्यों के होने के इतिहास बढ़ प्रमाण हमें सुलभ उपलब्ध हो जाते है ।
वैदिक काल में भारत में मुख्य रूप से आर्यों का निवास स्थान था तथा उस समय भारत एक विस्तृत बहु भाग में फैला हुआ था
आर्यों का रहन सहन
आर्य मुख्य रूप से तीन प्रकार के वस्त्र पहनते थे ।
1.वास वस्त्र : दैनिक चर्या के दौरान घर या आश्रम में पहने जाने वाले वस्त्र
2.अधिवास वस्त्र : आश्रम या घर से बाहर जाने के दौरान पहने जाने वाले वस्त्र
2.उष्णीष वस्त्र : शीट काल में पहने जाने वाले गर्म वस्त्र
इनके अन्दर पहनने वाले कपडे / अंतः वस्त्रों को नीवी कहा जाता था.
मनोरंजन
आर्यों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे संगीत रथ दौड़, घुड़ दौड़ एवं द्रुत क्रीडा.
व्यवसाय/ जीविकोपार्जन:
आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन और कृषि था.
शिक्षा:
आर्य वेदों और उपनिषद के माध्यम से अपनी शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाते थे
वेदों की संख्या ४ है
उपनिषदों की कुल संख्या १०८ है
महापुरानो की संख्या १८ है.
वेदांग की संख्या ६ है.
दिशा ज्ञान :
आर्यों को दिशाज्ञान का अच्छा बौद्ध था
सबसे शुभ दिशा पूर्व दिशा को माना जाता है जो की सूर्य देवता का उद्गम स्थल है
पूर्व दिशा:
पूर्व दिशा का वैदिक नाम प्राची है |
राजा सम्राट का राज्य था समस्त राज्य की शासन व्यवस्था की बागडोर सम्राट के हाथ में थी |
पश्चिम दिशा :
पश्चिम दिशा का वैदिक नाम प्रतीची है ।
पश्चिम
उत्तर दिशा :
उत्तर दिशा का वैदिक नाम उदीची है ।
उत्तर दिशा में राजा विराट का का राज्य था |
दक्षिण दिशा
उत्तर वैदिक शब्द – अज्ञात
दक्षिण दिशा में राजा भोज का राज्य था|
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