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श्री मद्भागवद्गीता के पाठ से ग्रहों का अनिष्ट फल एवं तंत्र दोष का निवारण |
कूछ
महीने पहले एक बहुत ही उच्च कोटि के साधक से परम आदरणीय श्री नागेश्वर सरस्वती जी की मुलाकात हुई थी। वो
दिखने मे एकदम दुबले पतले से थे, लेकिन चेहरे पर अग्नि के समान तेज था ।कुछ
ज्ञान का आदान प्रदान हुआ ।शास्त्रो मे कहते है ना जब कोई गुरु या संत
साधक किसी पर प्रसन्न हो जाये तो उनको सब कूछ दे देते।,उनकी कृपा ही समझना न
जाने क्या हुआ उन्होने गीता के ऊपर ज्ञान देना अारम्भ कर दिया और
उन्होने बताया की गीता से ही आप अपने सभी नौ ग्रहों को अपने अनुकूल कर
सकते है और उनकी कृपा भी प्राप्त की जा सकती है और साथ साथ उन्होने ये भी
बताया की गीताजी के प्रताप से आप अपनी ऊपर किया गया गया तंत्र बंधन,ऊपरी
हवा ,बाहरी बाधा एवम मारण इ प्रयोग का नाश भी किया जा सकता है ।
उनकी
बात पर विश्वास करके मैने स्वयं इसका प्रयोग किया। अपनी शिवशक्ति संस्थान
में भी इसका प्रयोग करवाया उसका बहुत ही अचूक एवम् आश्चर्यचकित परिणाम
मिला । वह प्रयोग नीचे दे रहै हूँ ।
प्रयोग
ये प्रयोग 3 दिवसीय है जो *दशमी, एकादशी ,और द्वादशी* ऐसे तीन दिन करना होता है।
सबसे
पहले भगवान श्रीकृष्ण के सामने एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करिए और
उनको एक गुलाब का फूल , भोग मे लड्डु चढ़ाये और हाथ मै जल लेकर संकल्प
करे की *मेरे घर परिवार पर ,मेरे व्यवसाय आदि पर जो भी तंत्र दोष है उसका
नाश हो* और जल ज़मीन पर डाल दे।
इसके बाद *गीता के 11
वे अध्याय का और 14 वे अध्याय का पाठ करिये* और साथ में *गीता महात्म्य*
का पाठ भी अवश्य करे। और वही बैठकर हाथ मै जल लेकर एक और संकल्प करिये ,"
मै
(अमुक ) आज जो गीता के 11वे और 14वे अध्धयाय का जो पाठ किया है उस पाठ के
करने से जो पुण्य मुझे प्राप्त हुआ है वो सभी पुण्य मै भगवान श्रीकृष्ण को
समर्पित करता हूँ* " ऐसे बोलकर जल ज़मीन पर डाल दे और भगवान श्रीकृष्णा से
प्रार्थना करे की वे सभी तंत्र दोष का नाश करे।
इस तरह से आपको ये तीन दिन तक करना है ।
स्वयं आपको अनुभूति होगी।
----- Courtesy : परम आदरणीय श्री नागेश्वर सरस्वती जी ,शिवशक्ती संस्थान, नागपुर।------
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