Sunday, March 19, 2017

शौर्य कभी सो जाए तो , राणा प्रताप को पढ़ लेना.......

 

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राणा प्रताप की खुद्दारी, भारत माता की पूंजी है।
ये वो धरती है जहां कभी, #चेतक की टापें गूंजी है।।
पत्थर-पत्थर में जागा था, विक्रमी तेज बलिदानी का।
जय  एकलिंग का ज्वार जगा, जागा था खड्ग भवानी का।।
     
जब मुगलों ने मिर्ची डाली , पावन हल्दीघाटी में ।
अग्निपुष्प तब हुआ पल्लवित , कुंभलगढ़ की माटी में ।
जो महाराणा कुल का गौरव , स्वाभिमान का पोषक था ।
मुगलों से जो खुली जंग का , एक मात्र उद्धघोषक था ।।

अकबर का अट्टाहस रोका , साहस के बलबूते से ।
समझौतों को ठोकर मारी , जिसने अपने जूते से ।
विधर्मी गिद्धों के हर दम , पंख कतरने वाला था ।
एक वार से दुश्मन के , दो टुकड़े करने वाला था ।।

जिसका बल पौरुष दुनिया में , अव्वल और निराला था ।
कवच किलो इक्यासी का था , और बहत्तर भाला था ।
चेतक पर सवार होकर जब , युद्धक्षेत्र में आता था ।
बाबर की औलादों का , कच्छा गीला हो जाता था ।।

आठ फुटा महाराणा से कद , अपना नापा करते थे ।
देख सामने अकबर के भी , गुर्दे काँपा करते थे ।
घास चपाती खाने वाला , खुद खुद्दार कहानी था ।
मेवाड़ी पानी के आगे , अकबर पानी पानी था ।।

रजपूती गाथा के तन पर , स्वाभिमान का जेवर था ।
मरते दम तक नही झुका वो , सूर्यवंश का तेवर था ।
जीत हार की बात न करिये , संघर्षों का ध्यान करो ।
कथा पीढ़ियों को दिखलाओ , निज कुल पर अभिमान करो ।।

गिरा जहाँ पर खून वहां का , पत्थर-पत्थर जिन्दा है ।
जिस्म नहीं है मगर नाम का , अक्षर-अक्षर ज़िंदा है ।
जीवन में यह अमर कहानी , अक्षर-अक्षर गढ़ लेना ।
शौर्य कभी सो जाए तो , राणा प्रताप को पढ़ लेना ।।
                 भारत माता की जय

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