Monday, September 4, 2017

शहीद- ए- आजम भगत सिंह की फांसी पर किसे क्या ईनाम मिला? पढ़कर भुजाएं फड़क उठेगी |

 

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जब अमर शहीद सरदार  भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गिरफ्तार कर के उन पर अभियोग चलाने की सिफारिश की जा रही थी तो ऐसा माना जाता है कि, इनके तमाम दुसरे साथी  हंसराज वोहरा, जयगोपाल, फणीन्द्र नाथ घोष व मनमोहन बेनर्जी आदि भाग गए और बाद में सरकारी गवाह बन गये थे।

वोहरा के मन में कहीं अपराधबोध का अंश था उसने नगद पुरस्कार या जागीर लेने से मना कर दिया, मगर सरकारी खर्च पर London School of Economics में पढने गया। बाद में उसने Journalism की डिग्री ली।और Washington में एक भारतीय अखबार का रिपोर्टर बन गया जहां 40 के दशक में उसकी मृत्यु हो गई।

जयगोपाल को 20,000/- का नगद पुरस्कार मिला ।

फणीन्द्र नाथ घोष व मनमोहन बेनर्जी  को बिहार के चम्पारन में 50-50 एकड जमीन दी गई।

उस समय के Jail Suptd मेजर चोपडा को DIG Jail बना दिया व IG Jail, F A Walker को " नाइटहुड" से सम्मानित किया।

फांसी के समय Dy Suptd खान साहब मुहम्मद अकबर खान भावुक हो कर रोने लग गये तो उन्हें सजा के तौर पर ASP बना दिया गया और उनका " खान साहब" का सम्मान वापस ले लिया गया।

DSP सुदर्शन जिसने तीनों शहीदों ( भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव) का अमानवीय तरीके से अन्तिम संस्कार किया उन्हें Addl SP कसूर ( अब पाक में) के पद पर तरक्की दी गई।

साथियो इससे सिद्ध होता है कि लालचियों और देशद्रोहियों की देश में कभी भी किसी भी काल में कमी नही रही। देश में ऐसे लालचियों  और निकृष्ट लोगों की ना पहले कमी थी और ना आज है |

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