Monday, September 4, 2017

भारत का गौरवशाली इतिहास एवं अफ्रीका का हिंदुत्ववादी इतिहास

 

भारत का गौरवशाली इतिहास,अफ्रीका का हिंदुत्ववादी इतिहास,India's Great History,Hindusim in Africa-History

अफ्रीका महाद्वीप एक विशाल भूखंड है, जिसमे कई देश है । इसके उत्तर में लीबिया, इजिप्ट , मोरक्को आदि देश है । जिसमे सहारा जैसा विस्तीर्ण मरुस्थल भी है  जहां तेज लू में रेत एक स्थान से दूसरे स्थान में उड़ने से देखते ही देखते  बड़े टीले बनते या मिटते रहते है । समय समय मे बनने - बिगड़ने वाले इस भु-जंजाल में किंतने ही ऐतिहासिक रहस्य पृथ्वी की तह में छिपकर नष्ठ हो गए होंगे, या छिप गए होंगे । मध्य अफ्रीका में कई स्थानों में ऐसा घना जंगल है  उसके अंदर क्या क्या रहस्य छिपे होंगे, किंतने ही मंदिर -महल नष्ठ हुए पड़े होंगे किसी को कुछ पता नही। अफ्रीका में गोरे लोगो ने अपनी निजी धाक जमाते समय  प्राचीन सभ्यता  के अवशेषों को चुपचाप नष्ठ करवा दिया हो, तो बड़ी बात नही ।

उतरी अफ्रीका में मुसलमान बने अरबो ने  इस्लाम पूर्व सभ्यता को दीमक ओर टिड्डीयो की तरह नष्ठ करना निजी धर्म ही मान लिया था।  फिर भी पिरामिड बड़े सोभाग्य से इसलिए बच पाए  की राक्षसी शक्ति पिरामिड की विशालता तथा मजबूती देखकर ढीली पड़ गयी। पिरामिड के अंदर धरी सम्पति को लूटकर ही मुसलमानो को संतोष करना पड़ा। इसके अतिरिक्त  ईसाई तथा अरबी मुसलमानो ने  अफ्रीका को मानवीय शिकार तथा लूट की जागीर समझकर  अफ्रीका में जहां  तहां छापे मारकर  स्थानीय, दरिद्र , अनपढ़, भयभीत  हब्सी स्त्री पुरषों को पकड़-पकड़ कर लूटकर, मारकर उनका बलात्कार कर  नावों में भर भर कर  विश्व की अनेक मंडियों में बेचना आरम्भ कर दिया ।

गोरे ईसाइयो के हाथ मे पड़ा हब्सी ईसाई कहलाया, ओर अरबी मुसलमानो के हाथ पड़े हब्सी , हब्सी मुसलमान कहलाये । हालांकि अफ्रीका का पूर्ण हिन्दू इतिहास इन ईसाइयो ओर मुसलमानो ने खत्म करने की चेष्ठा की, लेकिन इतिहास को कोई मिटा नही सकता । तो उसी इतिहास और नजर डालते है :-

अफ्रीका का रामायण ओर राम से सम्बन्ध:
अफ्रीका का एक देश इजिप्ट नाम से जाना जाता है,  यह नाम अजपति राम के नाम पर पड़ा हुआ है। प्रभु श्री राम के कई नामो में  एक अन्य नाम अजपति भी था । उसी अजपति का अपभ्रंश इजिप्ट होकर रह गया। अफ्रीका के सारे लोग Cushiets ( कुशाइत ) कहे जाते है । इसका अर्थ यही है वे प्रभु श्री राम के पुत्र कुश के प्रजाजन ही है। अफ्रीका में राम की ख्याति इसलिए फैली, क्यो की अफ्रीका खण्ड रावण के कब्जे में था । रावण के भाईबंद माली - सुमाली  के नाम से अफ्रीका में दो देश आज भी है ही ।

रामायण में जिक्र है लोहित सागर का, आपने कभी गौर किया कि वो लोहित सागर था, तो अब कहाँ है ?  लंका की शोध में जब वानर उड़ान भरते थे, तब लोहित सागर का उल्लेख आता है ।  वह लोहित सागर अफ्रीका खण्ड के करीब ही है। जिसे आज RED SEA  अथवा लाल सागर के नाम से जाना जाता है।  हो सकता है कि वह पिरामिड रामायण कालीन  दैत्यों के मरुस्थल  स्तिथ किले या महल रहे हो  , वे जीते जाने के बाद उनके आगे राम विजय के चिन्ह के रूप में  रामसिंह के The sphinx नाम की प्रतिमा बना दी गयी हो ।

अफ्रीका में केन्या नाम का देश है, हो सकता है वहां " कन्या " नाम की कोई देवी रही हो , ओर उसकी पूजा की जाती हो । कन्या से  ही केन्या बना है । और कन्या तो संस्कृत शब्द ही है ।


अफ्रीका के हिन्दू नगर :
दारेसलाम नाम का जो  सागर तट पर प्रमुख नगर अफ्रीका में है,  वह स्पष्ठतया  द्वारेशाल्यम ( द्वार-इशालायं ) संस्कृत नाम है । उसका अभिप्राय यह है कि  उस नगर में कोई विशाल शिव मंदिर ,  विष्णु मंदिर या गणेश मंदिर रहा हो । अफ्रीका के  एक प्रदेश का नाम रोडेशिया है । एक  RHODES  नाम का प्रदेश भी है । Sir Cecil Rhodes  नाम के एक अंग्रेज के कारण रोडेशिया आदि नाम प्रचलित हुआ, यह सामान्य धारणा है । किन्तु होड्स  होडेशिया आदि हम "हत " यानि ह्रदय  यानी heartland  अर्थात ह्रदय प्रदेश या हार्दिक प्रदेश  इसका मूल संस्कृत नाम है । Sir Cecil  का मूलतः श्री शुशील नाम है । ताँगानिका  नाम का एक अफ्रीकी प्रदेश है , जो तुंगनायक यानि श्रेष्ठ नेता इसका अपभ्रंस है ।द्वारेशलम उसी प्रदेश में आता है ।

मॉरीशस :
अफ्रीका के पूर्ववर्ती किनारे के पास  मारिशश द्वीप है ।  राम के बाण उर्फ रॉकेट ने  मारीच को वहां ही गिराया था । अतः उस द्वीप का नाम मासिशश पड़ा । या यह हो सकता है, की मारीच ने राम के भय से वहां शरण ली हो, इस कारण उस द्वीप का नाम मॉरीशस पड़ा हो । कुश के पिता हाम ( Ham ) थे ,  ऐसा इथोयोपिया की पुस्तकों में लिखा है । हां हीं  आदि संस्कृत में भगवान के रूप बीजाक्षर है । इसी कारण राम का नाम वहां हाम पड़ गया ।


अफ्रीका की नील, गंगा/ सरस्वती:
अफ्रीका के इजिप्ट में जो नील ( इसका उच्चार नाइल किया जाता है )  नदी है, उसे दुनिया की सबसे प्रमुख नदी में गिना जाता है ।  प्राचीन वैदिक परंपरा के अनुसार वह बड़ी पवित्र भी मानी गयी है । नील विश्लेषण दैवीय गुणों का धोतक है । नील नदी का उद्गम कहा से है, इसका पता ही यूरोपीय लोग नही लगा सके । लेकिन अंत मे प्राचीन संस्कृत पुराणों से यह समश्या हल हुई । भारत मे ईस्ट इंडिया कम्पनी  ने जब यहां पुराणों का अध्यनन करवाया तो पुराणों में नील सरिता नदी का उल्लेख था, जिसका चंद्रगिरि की पहाड़ियों से उद्गम था । पुराणों में दिए भौगोलिक नक्शे के अनुसार यह सच साबित हुआ, ओर नील नदी का उद्गम मिल भी गया । किंतने आश्चर्य की बात है, की जहां देखो वहां भारतीयों का इतिहास मिलता है ।

अफ्रीका मूल रूप से हिन्दू राष्ट्र ही था । आज भी Kenya (  कन्या )  दारेसलाम ( द्वारेशलम ) Rhodesia ( रुद्रदेश) Nile  ( नील) ,  इजिप्ट ( अजपति ) Cairo ( कौरव )  अल-अक्षर ( यानि अल-ईश्वर  )  विश्वविद्यालय आदि  हिन्दू संस्कृत नाम अफ्रीका खण्ड से जुड़े हुए है । 


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