उन्हें देश की आज़ादी के लिए शहीद होने वाले देशभक्तों में गिना जाता है।१९०९ ई. में ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ एक लेख लिखने के कारण गणेश सावरकर को आजन्म कारावास की सज़ा हुई थी। अंग्रेज़ सरकार के इस फैसले से क्रांतिकारियों में उत्तेजना पैदा हो गई। प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर अनंत लक्ष्मण कन्हेरे ने २१ दिसम्बर,१९०९ ई. को नासिक के ज़िला अधिकारी जैक्सन को गोली मार दी।

जैक्सन की हत्या के बाद अंग्रेज़ पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की। अनेक गिरफ्तारियाँ हुईं और मुकदमे चले। जैक्सन की हत्या के मामले में अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, धोंडो केशव कर्वे और विनायक देशपाण्डे को फ़ांसी की सज़ा हुई। दूसरे मुकदमें में राजद्रोह फैलाने के अभियोग में 27 लोगों को सज़ा मिली, जिनमें विनायक सावरकर को उम्रकैद की सज़ा हुई।
अनंत लक्ष्मण कन्हेरे १९ अप्रैल, १९१० को केवल 19 वर्ष की आयु में फ़ांसी पर लटका दिये गए। इतनी छोटी-सी आयु में ही शहीद होकर भारत माँ के इस सपूत ने भारतीय इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया। बाद में अनंत लक्ष्मण कन्हेरे पकड़ लिये गए और मात्र 19 वर्ष की अवस्था में उन्हें फाँसी दे दी गई।
वैदिक भारत
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