रश्मि एक
संभ्रांत परिवार की विवाह शुदा महिला है। कुछ ही माह पहले रश्मि का प्रेम-विवाह
बड़ी धूम धाम से और दोनों के परिवार वालों की सहमति से मुकुल से हुआ था | कल रश्मि ने अचानक अपने एक करीबी और पारिवारिक
मित्र, निखिल को फोन करके अपने
घर बुलाया। फोन पर उसकी आवाज़ से निखिल के मन में खटका हो चुका था कि कुछ न कुछ
गड़बड़ अवश्य है। निखिल शाम को रश्मि के
घर पहुंचा। उसने चाय बनाई और निखिल से बात करने लगी। पहले तो इधर-उधर की बातें
हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर
दिया कि निखिल से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है।
निखिल ने पूछा कि
मुकुल कहां है? तो रश्मि ने कहा कि अभी कहीं गए हैं, बता कर नहीं गए। उसने कहा कि बात-बात पर झगड़ा
होता है, और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में अब
एक ही रास्ता बचा है कि हम अलग हो जाएं, और तलाक ले लें।
निखिल चुपचाप
बैठा सुनता रहा।
रश्मि जब काफी
देर बोल चुकी तो निखिल ने उससे कहा कि तुम मुकुल को फोन करो और घर बुलाओ, कहो कि निखिल आया हैं।
तो रश्मि ने कहा
कि उनकी तो आपस में बातचीत नहीं हो रही, फिर वो फोन कैसे करे?
अज़ीब संकट था।
रश्मि को मैं बहुत पहले से जानता हूं। मैं जानता हूं कि मुकुल से विवाह करने के
लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था। बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी
हुए थे, फिर धूमधाम से विवाह हुई
थी। ढेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं। ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है।
पर विवाह के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे। दोनों एक-दूसरे को
खरी-खोटी सुनाने लगे। और आज उसी का नतीज़ा था कि निखिल रश्मि के सामने बैठे थे,
उनके बीच के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए।
खैर, रश्मि ने फोन नहीं किया। निखिल ने ही फोन किया
और पूछा कि- “मुकुल तुम कहां हो?
मैं तुम्हारे घर पर हूं, आ जाओ।“ मुकुल पहले तो
आनाकानी करता रहा, पर वो जल्दी ही
मान गया और घर चला आया।
अब दोनों के
चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि कभी दो जिस्म-एक जान कहे
जाने वाले ये पति-पत्नी आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे। दोनों के
बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी।
मुकुल, निखिल के सामने बैठा था। निखिल ने उससे कहा कि सुना है कि
तुम रश्मि से तलाक लेना चाहते हो?
उसने कहा,
“हां, बिल्कुल सही सुना है। अब हम साथ नहीं रह सकते।”
निखिल ने कहा कि
तुम चाहो तो अलग रह सकते हो। पर तलाक नहीं ले सकते।
“क्यों?” मुकुल ने कहा।
“क्योंकि तुमने
निकाह तो किया ही नहीं है।” निखिल ने तुरंत
टोका।
“अरे यार, हमने विवाह तो किया है।” मुकुल ने बीच में टोकते हुए लहजे में कहा।
“हां, विवाह शब्द सही है। विवाह में पति-पत्नी के बीच
इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर तुमने मैरिज़ की होती तो तुम
डाइवोर्स ले सकते थे। अगर तुमने निकाह किया होता तो तुम तलाक ले सकते थे। लेकिन चूँकि
तुमने विवाह किया है, इसका मतलब ये हुआ
कि हिंदू धर्म और हिंदी में कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का
कोई प्रावधान है ही नहीं।”
निखिल ने इतनी-सी
बात पूरी गंभीरता से कही थी, पर दोनों हंस
पड़े थे। दोनों को साथ-साथ हंसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी। निखिल ने समझ लिया
था कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है। वो हंसे, लेकिन निखिल गंभीर बना रहा।
निखिल ने फिर रश्मि
से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं?
रश्मि ने नज़रे
झुका कर कहा कि पति हैं। निखिल ने यही सवाल मुकुल से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं?
उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी
हैं।
निखिल ने तुरंत
टोका। “ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं। ये तुम्हारी बीवी
इसलिए नहीं हैं क्योंकि तुम इनके शौहर नहीं। तुम इनके शौहर नहीं, क्योंकि तुमने इनसे साथ निकाह नहीं किया। तुमने
विवाह किया है। विवाह के बाद ये तुम्हारी पत्नी हुईं। हमारे यहां जोड़ी ऊपर से बन
कर आती है। तुम भले सोचो कि विवाह तुमने की है, पर ये सत्य नहीं है। तुम विवाह का एलबम निकाल कर लाओ,
मैं सबकुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा।
बात अलग दिशा में
चल पड़ी थी। निखिल के एक-दो बार कहने के बाद रश्मि विवाह का एलबम निकाल लाई। अब तक
माहौल थोड़ा ठंडा हो चुका था, एलबम लाते हुए
उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूं।
निखिल ने कहा कि
अभी बैठो, इन तस्वीरों को देखो। कई
तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहां रश्मि और मुकुल विवाह के
जोड़े में बैठे थे और पांव पूजन की रस्म चल रही थी। निखिल ने वो तस्वीर एलबम से
निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो।
उन्होंने तस्वीर
देखी और साथ-साथ पूछ बैठे कि इसमें खास क्या है?
निखिल ने कहा कि
ये पैर पूजन का रस्म है। तुम दोनों इन सभी लोगों से छोटे हो, जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं।
“हां तो?”
“ये एक रस्म है। ऐसी
रस्म संसार के किसी धर्म में नहीं होती जहां छोटों के पांव बड़े छूते हों। लेकिन
हमारे यहां विवाह को ईश्वरीय विधान माना गया है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि विवाह के दिन पति-पत्नी दोनों
विष्णु और लक्ष्मी के रूप हो जाते हैं। दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है।
अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों-लाखों साल से विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग
हुए हैं? दोनों के बीच कभी झिकझिक
हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएंगे? नहीं होंगे। हमारे यहां इस रिश्ते में ये
प्रावधान है ही नहीं। तलाक शब्द हमारा नहीं है। डाइवोर्स शब्द भी हमारा नहीं है।
दोनों से निखिल ने ये भी पूछा कि बताओ कि हिंदी में तलाक को क्या कहते हैं?
दोनों निखिल की ओर देखने लगे। उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। फिर निखिल ने ही कहा कि दरअसल हिंदी में तलाक का कोई विकल्प नहीं। हमारे यहां तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए। तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो। या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो, फिर तलाक ले लेना।”
अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी।
निधि चुपचाप निखिल की बातें सुन रही थी। फिर उसने कहा कि भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं।
वो कॉफी लाने गई, निखिल ने मुकुल से बातें शुरू कर दीं। बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं, जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं।
खैर, कॉफी आई। निखिल ने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली। मुकुल के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया, “भैया इन्हें शुगर है। चीनी नहीं लेंगे।”
लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं।
मुकुल हंस पड़ा, निधि थोड़ा झेंपी। कॉफी पी कर निखिल ने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो, फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूंगा।
जब तक निकाह नहीं कर लेते तब तक “एक हो गए हम और तुम” वाला गाना गाओ, मैं चला" -निखिल ने कहा।
दोनों से निखिल ने ये भी पूछा कि बताओ कि हिंदी में तलाक को क्या कहते हैं?
दोनों निखिल की ओर देखने लगे। उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। फिर निखिल ने ही कहा कि दरअसल हिंदी में तलाक का कोई विकल्प नहीं। हमारे यहां तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए। तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो। या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो, फिर तलाक ले लेना।”
अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी।
निधि चुपचाप निखिल की बातें सुन रही थी। फिर उसने कहा कि भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं।
वो कॉफी लाने गई, निखिल ने मुकुल से बातें शुरू कर दीं। बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं, जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं।
खैर, कॉफी आई। निखिल ने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली। मुकुल के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया, “भैया इन्हें शुगर है। चीनी नहीं लेंगे।”
लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं।
मुकुल हंस पड़ा, निधि थोड़ा झेंपी। कॉफी पी कर निखिल ने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो, फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूंगा।
जब तक निकाह नहीं कर लेते तब तक “एक हो गए हम और तुम” वाला गाना गाओ, मैं चला" -निखिल ने कहा।
लेकिन जाते जाते निखिल के कानों में रश्मि और मुकुल की दबी दबी सी, सॉरी सॉरी बोलने के शब्दों वाली आवाजें आ रही थी।
साभार : भाई श्री संजय सिन्हा
(लेखक प्रख्यात पत्रकार है जो हिंदी संस्कृति के प्रकांड ज्ञानी है)
साभार : भाई श्री संजय सिन्हा
(लेखक प्रख्यात पत्रकार है जो हिंदी संस्कृति के प्रकांड ज्ञानी है)
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