खबर है कि रैंसम वायरस से भारत जादा प्रभावित नही हुआ। इसका मतलब ये नही ये भारत मे अटैक नही किया, किया था लेकिन भारतीय परिवेश आदि के कारण कुछ नही हुआ।
हुआ यूं कि सबसे पहले उसने सरकारी दफ्तर पे अटैक किया, घुसते ही एक बाबू चश्मा उतार के पान की पिक थूक दिये जो उसका मुह रंग के मामले लाल कर दिया लेकिन इज्जत के मामले काला। थोड़ा सम्हला ही था कि उसे आवाज सुनाई दी, क्या काम है? लिफाफा उफ़ाफ़ा लाये हो? वो बिचारा समझ नही पाया और जैसे तैसे जान बचाते भाग खड़ा हुआ।
फिर वो गया सरकारी स्कूल में, "एक स्वेटर के 300 रुपये लेती हूं, नाप लाये हो ?" एक महोदया ने स्वेटर बुनते हुए, बिना उसकी तरफ देखे कहा। वायरस घबरा गया, मन में सोचा- "हे ईश्वर! यहां कहा आ गया ?" ऐसे लंबे लंबे सरिया सलाई तो मेरे उस कम्प्यूटर में भी नही है जहां से मैं चला था। अच्छा निकालो सौ रुपया, मिड डे मील में से एक बोरा गेहूं देती हूं। यहां भी अब उसका धैर्य टूट गया।आगे क्या हुआ आप समझ ही जाईये ...........
फिर वो पहुँचा एक मस्जिद, वहाँ एक दाढ़ी वाले कुछ महिलाओं को तीन तलाक आदि के फायदे बता रहे थे। इसको देखते ही धमकाया "भाग जाओ नही हलाला करवा दूँगा" वायरस तो वायरस ही ठहरा , थोड़ा घबराया लेकिन अपने दोनों हाथों को पीछे रख, दाव पे लगे इज्जत को बचाने की कोशिश करते हुए टस से मस नही हुआ। तभी मौलाना ने "तलाक तलाक तलाक" कह दिया। अब खुदा की बात इंसान के बनाये हुए अदना से वायरस से न टाला गया, नतीजन हजरत यहाँ से भी फारिग हो लिए।
फिर वो पहुँचा NDTV पत्रकारिता संस्थान में जहां रविश जी 15 साल पुरानी सफेद शर्ट के ऊपर भारतीय विद्या मंदिर का काला कोट चढ़ा ऊपर से नीले रंग के टाई के साथ सुशोभित थे। देखते ही इसे चाय पानी पिलाया गया। पहली बार भारत आ के मोगाम्बो खुश हुआ के तर्ज पर वायरस ने राहत महसूस की । रविश ने कहना शुरू किया "देखिए हमे पता है कि भारत मे साम्प्रदायिक शक्तियों की वजह से आपको पूरा मान सम्मान नही मिल पा रहा, आपके अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले संस्थानों को भी निशाना बनाया जा रहा है, फिर भी हमारी भरपूर कोशिश होगी कि आपको सामाजिक न्याय मिले, जय भीम-जय मीम" अब वायरस का सीना चौड़ा था। वो उनके उस कम्प्यूटर पर प्रवेश ही करने वाला था जिसमेन्द्त्व के हवाला का हिसाब किताब था, ये देखते ही रविश का पारा चमका और घातक प्रश्न "कौन जात हो वायरस बाबू ?" दाग दिया। वायरस क्षोभ से भर कर वायरस बाबू वहां से भी भाग खड़ा हुआ।
घूमते घूमते कुरान के बाद संविधान में विश्वास रखने वाले ओवैसी जी के कार्यालय पहुँचा। "देखिए घबराइए नही, हमारे यहां आप जैसे वायरसों को पूरी इज्जत बख्शी जाती है। खुदा कसम औरत को छोड़ बाकी सबका एहतराम करता है ये खुदा का बंदा, आपकी कानूनी लड़ाई मैं लड़ूंगा, इससे पहले भी और आज भी ढेरो वायरसों की लड़ाई लड़ रहा हु आप चिंता न करे। आपको कुछ दिन कस्टडी में रहना होगा" । ओवैसी की बात खत्म होते ही यहाँ से भी भाग खड़ा हुआ, अपने अधिकार के लिए 10-15 साल या उम्र भर इसके पास समय नही, वायरस है, जीता जागता इंसान नही।
फिर पहुँचा IRCTC , जैसे ही अटैक करने की कोशिश करता साईट डायनेमिक होने की वजह से रेट बदल जाता। वो समझ गया की यहां पहले से ही बिरादर लोग है, सो जात भाईयो को देख यहां से भी निकल गया।
अंत मे रुख किया दिल्ली की ओर, यहां आते ही देखता क्या है कि केजरीवाल जी मुँह पर वही मफलर कस के बांध रखे है, जो कभी गले मे पहना करते थे। वो सिहर गया। अपने गुरु को देख कर कौन नही डरता भला? उल्टे कहीं केजरीवाल उस पर न अटैक कर दे! सोच ही रहा था कि आपियों का एक झुंड पास आ के "मोदी का एजेंट-मोदी का एजेंट" चिल्लाने लगा, इस हमले के लिए वो बिल्कुल तैयार नही था और उसे दिल का दौरा पड़ गया, मोहल्ला क्लिनिक में सही इलाज के अभाव में वायरस ने दम तोड़ दिया। और इस प्रकार से भारत को केजरीवाल जी ने भारत को बचा लिया।
#वैदिक_भारत
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