Wednesday, May 10, 2017

बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं :श्री विष्णु भगवान के ९ वें अवतार भगवान बुद्ध के अवतरण दिवस बुद्ध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा ) का माहात्म्य और पूजा विधि

 

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वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को पूरे विश्व में बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है | बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है | यह पर्व महात्मा बुद्ध के अवतरण दिवस के रूप में समस्त हिन्दू और बौद्ध धर्मावलम्बियों द्वारा मनाया जाता है | इस दिन श्रद्धालु महात्मा बुद्ध के उपदेशों , उनके कार्यों व उनके योगदान को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा भाव प्रकट करते है और उनके द्वारा सुझाये गये मार्ग पर चलने का संकल्प लेते है |

हिन्दू धर्मावलम्बियों का मानना है कि भगवान बुद्ध, विष्णु भगवान के नौवे अवतार है | अत: इस दिन को हिन्दुओं में पवित्र दिन माना जाता है और इसलिए इस दिन विष्णु भगवान की पूजा – पाठ और वंदना की जाती है |

बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए सबसे बड़ा पर्व है, क्योंकि इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, तथा इसी दिन उन्हें केवल-ज्ञान की प्राप्ति हुई थी ! ऐसी मान्यता है की वैशाख पूर्णिमा को   ही उनको निर्वाण की भी प्राप्ति हुई थी, अतः इन सब तथ्यों के आधार पर इस दिन का बहुत बड़ा महत्व  है |

वैदिक महत्व
वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होता है, और चन्द्रमा भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है | अत: ऐसे अति शुभ मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व पवित्र जल से स्नान करने मात्र से कई जन्मों के पापों का समूल नाश हो जाता है |बुद्ध पूर्णिमा के दिन मंदिरों में पूजा – पाठ करने दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है | इस दिन अन्न, मिष्ठान्न, जलपात्र, और वस्त्र  आदि  वस्तुएं दान करने और पितृ तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है |


बुद्ध पूर्णिमा पूजा की व्रत विधि
वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के दिन प्रात: पवित्र जल से स्नान करना चाहिए | यदि संभव हो सके तो शुद्ध जल में गंगाजल मिला कर पूर्ण सात्विक स्नान करें | प्रात: स्नान के पश्चात पूरे दिन का व्रत या उपवास रखने का संकल्प लें और यथेच्छा उपरोक्त वर्णित सामग्री का दान करे |

वैदिक विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें | प्रसाद के रूप में चूरमा बाटी का भोग लगाएं | पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी को प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें, और अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों को दान दें |

रात के समय पुष्प, धूप, गुण, दीप, नैवेद्य आदि से पूरी विधि–विधान से चंद्र देवता की पूजा करें और अर्घ्य दें  | चन्द्र देवता की पूजा करते समय इस वैदिक  मंत्र का स्पष्ट ध्वनि से उच्चारण करें

                                          वसंतबान्धव विभो शितांशो स्वस्ति न: कुरु |
                                            गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणिपते ||

बुद्ध पूर्णिमा की पूजा कैसे करे?
पूर्णिमा के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शर्करा स्थापित करें |
पूजा वाले दीपक में तिल का तेल डालकर प्रज्वलित करें | पूर्णिमा के दिन पूजा के वक्त तिल के तेल का दिया जलाना अत्यन्त शुभ माना जाता है |
अपने पितरों की तृप्त के लिए व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप पवित्र नदी में स्नान करके हाथ में तिल रखकर पितृ तर्पण करें |
बौद्ध धर्म के धर्मावलम्बी धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ करें |
बोधिवृक्ष की शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाकर उसकी पूजा करें | उसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाले और बोधिवृक्ष के आस – पास दीपक जलाएं |
इस दिन पंक्षियों को पिजड़े से मुक्त कर आकाश में छोड़ा जाता है |
पूर्णिमा के दिन दान में गरीबों को वस्त्र, भोजन दें | ऐसा करने से गोदान के सामान फल प्राप्त होता है | पूर्णिमा के दिन तिल व शहद को दान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है |
इस दिन मांस – मदिरा का सेवन करना वर्जित है क्योंकि गौतम बुद्ध पशु बध के सख्त विरोधी थे |
बुद्ध पूर्णिमा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरा राष्ट्र महात्मा बुद्ध को भगवान मानता है और इस दिन लोग भगवान बुद्ध को अपनी श्रद्धांजलि देते है और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को आत्मसात करते है |


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