शास्त्रों के अनुसार ॐ को प्रणवाक्षर कहा गया है, तथा इसका नियमित जाप करने से भगवान देवाधिदेव महादेव शंकर सदैव प्रसन्न रहते है। भगवान शंकर अर्थात महादेव जी को सृष्टि का संहारक, विनाशक अथवा तारक की संज्ञा दी गई है, अर्थात जीव के शारीरिक अथवा भौतिक रूप के रक्षक भगवान महादेव को माना गया है, और मृत्युलोक में रहने वाले समस्त जीवों के भौतिक रूप के क्षय का कारक भी भगवान भोले नाथ ही है।
और ॐ भगवान भोलेनाथ को सर्वाधिक प्रिय होने के कारण ॐ का जाप करने से तुरंत विपदाओं का हरण होता है।
ॐ का भावार्थ :-
ॐ (ओउम्) तीन अक्षरों से मिलकर बना होता है और ये तीन अक्षर है अ + ऊ + म।
"अ" का अर्थ होता है उत्पन्न होना, अथवा प्रकट होना ,
"उ" का तात्पर्य है उठना, वृद्धि करना अर्थात् विकास करना,
"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना अथवा परमात्मा में मिल जाना।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का ध्योतक है इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए ।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
उच्चारण की विधि
प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त एवं पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें।
ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन अथवा वज्रासन की ध्यान मुद्रा में बैठकर किया जा सकता हैं।
ॐ का उच्चारण ५ बार, ७ बार, ११ बार, २१ बार अथवा अपने समयानुसार १०८ बार कर सकते हैं।
ॐ का उच्चारण जोर से बोल कर अथवा धीरे-धीरे मन में बोल सकते हैं।
ॐ का उच्चारण अथवा जाप १०८ मनकों की माला से भी कर सकते हैं।
ॐ का जाप करने से स्वास्थ्य लाभ कैसे ले सकते है ?
१. ॐ के उच्चारण से थायराॅयड रोग का निदान :
ॐ का उच्चारण नियमित रूप से करने से गले की स्वर नलिका में कंपन उत्पन्न होता है जो थायरायड
ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, फलस्वरूप गले से सम्बंधित समस्त व्याधियों के नाश में सहायक है
२. ॐ के उच्चारण से घबराहट का निदान :
यदि किसी को घबराहट अथवा अधैर्यता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम औषधि कुछ भी नहीं है।
ॐ के नियमित उच्चारण से अधीरता और घबराहट जैसे रोगों के निदान में तुरंत लाभ होता है।
३. ॐ के उच्चारण से तनाव मुक्त जीवन की प्राप्ति:
ॐ के उच्चारण से शरीर के विकारी तत्वों के साथ साथ मानसिक तनाव भी दूर होता है, अर्थात ॐ का
उच्चारण मानसिक तनाव के कारण पैदा होने वाले अन्तः शारीरिक द्रव्यों पर सीधा नियंत्रण करता है।
४. ॐ के उच्चारण से रक्त का प्रवाह कैसे संतुलित रहता है?
यह हृदय की भित्तियों के सुदृढ़ करके रक्त के प्रवाह को संतुलित रखता है।
५. ॐ के उच्चारण से पाचन तंत्र का विकास :
ॐ के उच्चारण से पाचन तंत्र सक्रीय होकर पाचन शक्ति तेज़ होती है। फलतः कब्ज,गैस और अन्य विकार
को दूर करने में सहायता मिलती है
६. ॐ के उच्चारण से शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति का विकास :
ॐ के नियमित उच्चारण से युवावस्था के सामान शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति का संचार होता है।
व्यक्ति के आलस्य दूर होकर समृद्धि के मार्ग पर प्रशस्ति होती है।
७. ॐ के उच्चारण से थकान मिटती है :
कितनी भी भयंकर थकान हो, सुखासन में बैठकर ॐ के लगातार उच्चारण से इस थकान को शीघ्र दूर
किया जा सकता है।
८. ॐ के उच्चारण से अनिद्रा रोग का इलाज :
नियमित रूप से ॐ का उच्चारण करने से कुछ ही दिनों में अनिद्रा रोग दूर हो जाता है। रात्रि को शयन कक्ष
में शवासन की मुद्रा में मन ही मन ॐ के उच्चारण से शीघ्र ही नींद आ जाएगी।
#वैदिक_भारत
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