आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं कि महादेव को दूध की कुछ
बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता
है लेकिन हर हिन्दू त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली
पर पटाखे ना चलाएं, होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना
चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही
क्यों? ये एक साजिश है हमें अपने रीति-रिवाजों से विमुख करने की।
हम
सब प्रतिदिन दूध पीते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब
बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध
का दान करिए और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध
ही क्यों दान करना?
आप
अपने व्यसन का दान कीजिये दिन भर में जो आप सिगरेट, पान-मसाला, शराब, मांस
अथवा किसी और क्रिया में जो पैसे खर्च करते हैं उसको बंद कर के गरीब को दान
कीजिये | इससे आपको दान के लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा।
महादेव
ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता
है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा
अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें।
घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी
निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही
चढ़ाएं।
शिवलिंग की वैज्ञानिकता
भारत
का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें ! भारत सरकार के
नुक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा
रेडिएशन पाया जाता है। शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे। महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है।
क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।
जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है।विज्ञान को
परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम
भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।
अपना व्यवहार बदलो हमारे धर्म को बदलने का प्रयास मत करो।
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