Thursday, August 31, 2017

नोटबंदी का रिपोर्ट कार्ड : विपक्ष ने कहा नाकाम, तो सरकार ने कहा महान काम , पढ़िए तथ्यात्मक सच्चाई

 


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भारत के केंद्रीय बैंक अर्थात रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने ३० अगस्त को पूरे ९ माह बाद नोटबंदी की फाइनल बैलेंस शीट देश के सामने पेश की। पूरे देश को इसका इंतजार था किन्तु विपक्षी दलों को ये बैलेंस शीट पसंद नहीं आई तथा सरकार और RBI पर भिन्न प्रकार के आरोप लगाए गए जैसे कि१४ लाख ४४ हज़ार करोड़ मूल्य की करेंसी में से मात्र ६ हज़ार करोड़ ही नहीं आएँ। ८ हज़ार करोड़ नए नोट छापने में लगे। नोटबंदी का कोई फ़ायदा नहीं हुआ, सबको लम्बी लम्बी क़तारों में लगवाने से देश का घाटा हुआ, आदि आदि। हे विपक्षी नेतागणों ! हमें नहीं पता कि आप किसके लिए काम करते हैं,मुझे नहीं पता कि नोटबंदी के बहुआयामी लाभ आपको क्यों नहीं दिख रहे हैं ? फिर भी आपके एवं आपके प्रशंसकों के लिए, जो आपको बड़ा भारी नेता मानते हैं, उनके लिए निम्न तथ्य प्रस्तुत हैं-
प्रथम तथ्य  :-
जैसा कि जगज़ाहिर है कि अर्थव्यवस्था में १५ लाख ४४ हज़ार के अलावा जाली करेन्सी भी थी, जिसका सही सही अनुमान किसी के पास में नहीं है कितनी थी? एक लाख करोड़ थी या २ लाख करोड़ थी। लेकिन जो भी थी वो नोटबंदी के दौरान नष्ट हो गई, इतना तो आप जानभूझ के भले न कहें किन्तु  इसे इनकार तो क़तई नहीं कर सकते हैं ! ये आप भी जानते हैं! फिर भी बैंकों में रोज़मर्रा के कैश गणना के दौरान मिलने वाली जाली नोटों की प्रायिकता से पाया कि कुल मूल्य की कोई कम से कम 6% जाली करेंसी होनी चाहिए अर्थ व्यवस्था में। याने कोई १ लाख करोड़ के आस पास। ये जाली नोटें नष्ट हो गई। याने यदि १६००० करोड़ नहीं लौटी और साथ साथ १ लाख करोड़ नष्ट भी हुई! तो कुल आँकड़ा बनता है १ लाख १६ हज़ार करोड़! याने इतना न्यूनतम है, इससे ज़्यादा भी हो सकता है, आशा है आप समझ रहे होंगे। हम ये मानकर चल रहे हैं कि नेता होते हुए भी आपको थोड़ी बहुत गणित तो आती ही होगी। 

 नोटबंदी,रिपोर्ट कार्ड,विपक्ष,सरकार,तथ्यात्मक सच्चाई,Demonetization,Report card,Analysis,effects,blackmoneyदूसरा तथ्य :-
 सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो ये एक लाख १६ हज़ार करोड़ रुपया किसके पास था, ये भी मैटर करता है ? याने आतंकी के पास था, या नक्सल के पास था, अपराधी के पास था या फिर ऐसे आम आदमी के पास जिन्हें घोषित आया से ज़्यादा रक़म जमा करने पे पकड़े जाने का डर तो था लेकिन उन्हें केवल अर्थदंड देना था,उन्होंने बिना डरे नोट जमा किया, क्योंकि अर्थदंड के बाद भी उन्हें लाभ था। ऐसी बड़ी आबादी थी। अब ये जो एक लाख 16 हज़ार करोड़ हैं, ज़ाहिर है कि ये पैसा उन्ही राष्ट्रविरोधी ताकतों के पास था, जिनके आपराधिक कारणों से पकड़े जाने का डर था, माने अपराधी, आतंकी, नक्सली, अतः ये वापस नहीं आए! इससे उनकी शक्ति कम हुई। याने शैतानों के पास से 1 लाख १६ हज़ार करोड़ लूट जाना कोई छोटी मोटी बात नहीं है! शैतानी शक्तियाँ कमज़ोर हुई हैं! मुझे नहीं पता आपके शैतानों के साथ अवैध सम्बंध हैं या नहीं!
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तीसरा तथ्य :-
नोटबंदी से देश में कितने अमीर हैं, कितने ग़रीब ये सरकार को पता चल गया है, ६० लाख ऐसे बड़े नाम सामने आएँ हैं जिनकी इंकम तो बहुत ज़्यादा है लेकिन कभी इंकम टैक्स नहीं दिया। उन्हें Operation Clean Money के तहत नोटिस जा रहा है, नए टैक्स पेयर बन रहे हैं, टैक्स बेस बढ़ रहा है, GST सही सही लागू करने में ये मिल का पत्थर है, माने अब जीवन भर इसका फ़ायदा मिलेगा! और साथ ही डाटा माइनिंग के साथ नए नाम आते जा रहे हैं जिनकी संख्या करोड़ों में हैं, माने इंकम टैक्स विभाग को लम्बा प्रोजेक्ट मिल गया है राजस्व बढ़ाने व टैक्स चोरी रोकने का! ये लंबा चलेगा, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे! जिससे इंकम टैक्स दर कम होने की सम्भावना प्रबल हो गई है!
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चौथी तथ्य :- अब अर्थव्यवस्था में छोटे नोटों का चलन बढ़ रहा है, ५०, १००, २०० के नोटों का प्रतिशत बढ़ रहा है, साथ ही सरकार सारे नोट नहीं छापेगी, बाक़ी सॉफ़्ट करेंसी का चलन रहेगा, जिससे करप्शन में कमी आएगी। अब ये बात अलग है की ये सीधी सी गणित मान्यवर नेताओं के समझ में नहीं आ रही, किन्तु देश का आम आदमी ये गणित अच्छी तरह से समझ चुका है।

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