जैसा की विदित है, इस वर्ष गणेश चतुर्थी २५ अगस्त को मनाई जाएगी. तथा गणेशोत्सव का त्योहार २५ अगस्त से प्रारम्भ होकर ५ सितंबर तक पूरे भारत वर्ष में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जायेगा।
१० दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व का प्रारंभ विनायक चतुर्थी अथवा गणेश चौथ से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति विसर्जन के साथ ही सम्पूर्ण माना जाता है। गणेशोत्सव के प्रथम दिन अर्थात गणेश चतुर्थी को लोग घरों में भगवान श्री गणेश की मिट्टी से बनी हुई प्रतिमा स्थापित करते हैं और १० दिनों तक लगातार पूजा अर्चना के उपरांत १० वें दिन अर्थात अनंत चतुदर्शी के दिन श्री गणेश प्रतिमा का धूमधाम से विर्सजन किया जाता है।
श्री गणपति पूजा प्रारम्भ करने का दिन
इस बार गणेश चतुर्थी २५ अगस्त २०१७ को है।वैदिक काल गणना के अनुसार गणेश चतुर्थी का प्रारम्भ २४ अगस्त २०१७ को रात्रि में २०:२७ से ही हो जायेगा जो कि २५ अगस्त २०१७ को रात २०:३१ बजे तक रहेगा।
श्री गणपति पूजा का शुभ मुहूर्त
गणेश जी की मुर्ति लाने का समय: प्रातः 07:38 से 08:32 तक. गणेश पूजन का शुभ समय प्रातः 09:15 से 10:28 बजे तक , दोपहर 12:16 से 01:17 तक है।
श्री गणपति पूजा की सामग्री
श्री गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी, ताम्बे का कलश, सवा मीटर लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, रक्त चंदन, जनेऊ जोड़ा , गंगाजल, सिंदूर, चांदी का वर्क, लाल पुष्प, माला, इत्र, मोदक , धानी, साबूत सुपारी, लौंग, इलायची,ताम्बूल, नारियल, दूर्वा, दूब, पंचमेवा, घी का दीपक, धूप, बत्ती और कपूर की आवश्यकता होती है।
श्री गणेश जी की पूजा की विधि
भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने लिए साधक को ब्रह्म मुहूर्त में नहा धोकर लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए तथा पूजा करते समय साधक का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
सर्वप्रथम गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं. उसके पश्चात गंगा जल से स्नान कराएं। चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर गणेश जी को बिठाएं. ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं, लाल चंदन का टीका लगाएं, अक्षत अर्पित करें. मौली और जनेऊ अर्पित करें, लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, दूर्वा अर्पित करें, नारियल चढ़ाएं, पंचमेवा चढ़ाएं, फल अर्पित करें, मोदक, फल आदि का भोग लगाएं, लौंग इलायची अर्पित करें, दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं।
श्री गणेश मंत्र पढ़ें, व कम से कम ११ बार इस गणेश मन्त्र उच्चारित करें
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः. निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा..
अंत में कपूर जलाकर करें भगवान् श्री गणेश की आरती करें
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.. जय गणेश जय गणेश
एक दन्त दयावंत चार भुजाधारी. माथे सिन्दूर सोहे मूष की सवारी.. जय गणेश जय गणेश…
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया. बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया.. जय गणेश जय गणेश…
हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा. लडूवन का भोग लगे संत करे सेवा.. जय गणेश जय गणेश…
दीनन की लाज राखी शम्भु सुतवारी. कामना को पूरा करो जग बलिहारी.. जय गणेश जय गणेश…
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