Wednesday, August 30, 2017

हमारे महापुरुष : २० वर्ष की आयु में फांसी पर झूलने वाले अमर शहीद कन्हाई लाल की जीवन गाथा

 

हमारे महापुरुष,20 वर्ष,फांसी पर झूलने,शहीद कन्हाई लाल,जीवन गाथा,Kanaai Lal Dutta, Hugli,Revolutionary of India

जन्म तथा शिक्षा
कन्हाई लाल दत्त का जन्म जन्माष्टमी की काली अधेरी रात में ३०  अगस्त, १८८८ ई. को ब्रिटिश कालीन बंगाल के हुगली ज़िले में चंद्रनगर में हुआ था। कदाचित इसी से उनका नाम कन्हाई पड़ा हो।   पांच वर्ष की उम्र में कनाईलाल मुंबई आ गए और वहीं उनकी आरम्भिक शिक्षा हुई। बाद में वापस चंद्रनगर जाकर उन्होंने हुगली कॉलेज से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसी कालेज के एक प्राध्यापक चारु चन्द्र राय से गहनता के कारण कन्हाई को क्रान्ति पथ का परिचय प्राप्त हुआ था। लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियों के कारण ब्रिटिश सरकार ने उनकी डिग्री रोक ली।

गिरफ़्तारी
१९०५ ई. के 'बंगाल विभाजन' विरोधी आन्दोलन में कनाईलाल ने आगे बढ़कर भाग लिया तथा वे इस आन्दोलन के नेता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के भी सम्पर्क में आये। बी.ए. की परीक्षा समाप्त होते ही कनाईलाल कोलकाता चले गए और प्रसिद्ध क्रान्तिकारी बारीन्द्र कुमार घोष के दल में सम्मिलित हो गए और यहाँ वे उसी मकान में रहते थे, जहाँ क्रान्तिकारियों के लिए अस्त्र-शस्त्र और बम आदि रखे जाते थे। अप्रैल, १९०८ ई. में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में किंग्सफ़ोर्ड पर आक्रमण किया।

कनाईलाल दत्त और सत्येन बोस ने नरेन गोस्वामी को जेल के अंदर ही अपनी गोलियों का निशाना बनाने का निश्चय किया। पहले सत्येन बीमार बनकर जेल के अस्पताल में भर्ती हुए, फिर कनाईलाल भी बीमार पड़ गये। सत्येन ने मुखबिर नरेन गोस्वामी के पास संदेश भेजा कि मैं जेल के जीवन से ऊब गया हूँ और तुम्हारी ही तरह सरकारी गवाह बनना चाहता हँ। मेरा एक और साथी हो गया, इस प्रसन्नता से वह सत्येन से मिलने जेल के अस्पताल जा पहुँचा। फिर क्या था, उसे देखते ही पहले सत्येन ने और फिर कनाईलाल दत्त ने उसे अपनी गोलियों से वहीं ढेर कर दिया। दोनों पकड़ लिये गए और दोनों को मृत्युदंड मिला।

शहादत
कनाईलाल के फैसले में लिखा गया कि इसे अपील करने की इजाजत नहीं होगी। १० नवम्बर, १९०८ को कनाईलाल कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में फांसी के फंदे पर लटकर शहीद हो गए। जेल में उनका वजन बढ़ गया था।

No comments:
Write comments