इस वर्ष रक्षा बंधन के दिन अर्थात श्रवण पूर्णिमा को खंडग्रास चंद्र ग्रहण लग रहा है। रक्षा बंधन के साथ ही इस दिन श्रावण महीने का अंतिम व् पांचवां सोमवार भी है। राखी बांधने के लिए चंद्र ग्रहण के साथ ही भद्रकाल का भी ध्यान रखना है।
चंद्र ग्रहण के समय बाल और नाखून बिल्कुल ना काटें। बाल व् नाख़ून हमारे पितरों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अतः बाल-नाखून काटने से हमारे पितृ पूर्वज रूष्ट होकर हमारे लिए अशुभ का कारक हो सकते है।
महिलाएं ग्रहण के समय घर का कोई भी कार्य नहीं करें। सारे कार्यों को ग्रहण के समय टाल देना चाहिए शुभ होगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है। क्योंकि ग्रहण के समय वायुमंडल में ऋणात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो कि सम्भावी बच्चे और मां दोनों के लिए स्वस्थ्य और बौद्धिक रूप से हानिकारक हैं। तीन माह से अधिक गर्भवती महिलाएं घर से बाहर ना निकलें और ऐसे कमरे में जाकर बैठ जाएं, जिसमें चंद्रमा की एक भी किरण आना संभव नहीं हो। इस दौरान किसी भी तरह का गलत ना सोचें और ना ही कुछ खाएं-पीएं। नकारात्मक विचार अपने मन में ना आने दें और मानसिक रूप से भवद्भक्ति में लीन रहें । ग्रहण काल समाप्त होने के पश्चात् सात्विक स्नान करें।
पति-पत्नी को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस अवधि में पति-पत्नी दोनों भगवान का ध्यान लगाएं। ग्रहण काल में स्वस्थ व्यक्ति को निद्रा नहीं करनी चाहिए, जहाँ तक संभव हो रोगी व्यक्ति को भी शैया त्याग देनी चाहिए और भगवद्भक्ति में लीन हो जाना चाहिए। इस अवधि में निद्रा धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी विकारों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रहण काल में न तो भोजन बनाना चाहिए और न भोजन का सेवन करना चाहिए। यदि ग्रहण काल से पूर्व ही भोजन बन चूका है तो,उसमें व् अन्य खाने पीने की वस्तुओं व पीने के जल में तुलसी के पत्ते अवश्य डाल देना चाहिए, इससे भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होगा।
ग्रहण काल में किसी भी प्रकार की पूजा आराधना और शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। मंत्रों का जाप भी केवल मन में करें। तथा ग्रहण काल में घर के पूजा स्थान और मोहल्ले में भी सभी मंदिरों के पट बंद कर देना श्रेयष्कर रहता हैं।
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