
1857 की क्रांति से आज़ादी की जो चिंगारी पैदा हुई थी, वो लगभग ८५ वर्ष बाद आज ही के दिन अर्थात ९ अगस्त १९४२ तक ज्वाला का रूप धारण कर चुकी थी। भारत माता के महान सपूतों, मंगल पांडेय,भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु,खुदीराम बोस, लाल, बाल, पाल, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष बाबू और अन्य कईं अमर बलिदानी हुतात्माओं के बलिदान ये परिणाम था की आज के दिन अर्थात ९ अगस्त १९४२ को हिंदुस्तान की असंख्य प्रजा सड़कों पर उतर आई। बूढ़े ,जवान,औरत, और तो और बच्चे -बच्चे ने अंग्रेजों के विरुद्ध आर या पार की लड़ाई का दृढ संकल्प ले लिया था, पूरा देश आज़ादी के महासमर की आग में जल जाने को लालायित था। बच्चा बचा यही रट लगाए था कि या तो अंग्रेजों हमारा देश छोड़ दो या फिर हम फांसी पर चढ़ने को तैयार है। वैदिक भारत आज भारत छोडो आन्दोलन के ७५ वर्ष पूर्ण होने के शुभ अवसर पर इसकी पूरी कवरेज आपको बतायेगा ।
आज ९ अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की ७५ वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने इसे शुभ अवसर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने का निश्चय किया है और इस वर्ष को संकल्प वर्ष के रूप में मनाने का आह्वान हर देश वासी से किया है । सर्व विदित है कि इसे "अगस्त क्रांति" के नाम से भी जाना जाता है। संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्य सभा में भी आज विशेष सत्र और भारत छोड़ो आंदोलन के माहात्म्य और महत्व पर चर्चा होगी। प्रधान मंत्री ने देश की जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि " आइये इस शुभ अवसर एक नए भारत का निर्माण करें और संकल्प करें आतंकवाद, गरीबी,गंदगी और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का। "
जैसा की विदित है की केंद्र सरकार इस दिवस से ही आगामी पांच वर्षों को संकल्प वर्षों के रूप में मनाने का आग्रह आम जान से कर रही है और भ्रष्टाचार, आतंकवाद ,गंदगी,जातिवाद, सम्प्रदायवाद और गरीबी से लड़ने का संकल्प लेने का आग्रह कर रही है।
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