२१ अगस्त २०१७ का सूर्यग्रहण पूर्ण ग्रहण होगा। पूर्ण ग्रहण का मार्ग पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका से होकर गुजरेगा। पिछली बार ८ जून, १९१८ को भी पूर्ण सूर्य ग्रहण का योग पूरे अमेरिका में बना था। सूर्य ग्रहण का अधिकतम प्रभाव संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और उत्तरी दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों से दिखाई देगा। कुल मिलाकर पूर्ण सूर्य ग्रहण सेलेम में ओरेगन, कैस्पर इन वायोमिंग, लिंकन इन नेब्रास्का, कैनसस सिटी और सेंट लुइस, मिसौरी में, केंटकी में हॉपकिंसविल, टेनेसी में नैशविले, कोलंबिया और दक्षिण कैरोलिना में चार्ल्सटन आदि स्थानों पर दिखाई देगा
भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, फिजी, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और ऑस्ट्रेलिया से सूर्या ग्रहण दिखाई नहीं देगा।
क्यों होता है सूर्य ग्रहण ?
भौगोलिक परिवर्तनों के क्रम में जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश चन्द्र द्वारा ढक लिया जाता है, तथा पृथ्वी के जिन भागों में सूर्य ग्रहण होता ही वह दिन में भी रात्रि के सामान अन्धकार हो जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते है। सूर्य ग्रहण तीन प्रकार का होता है-
१. पूर्ण सूर्य ग्रहण, २. आंशिक सूर्य ग्रहण, ३. वलयकार सूर्य ग्रहण।
भारत पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव
यद्यपि पूर्ण ग्रहण अमेरिका में होने से भारत में ग्रहण काल रात्रि में होगा अतः सूर्य ग्रहण यहां दिखाई नहीं देगा और ना ही इसका कोई असर होगा। चूँकि भारत में ग्रहण दिखेगा ही नहीं अतः धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक भी नहीं लगेंगे और कोई भी असर भारत में नहीं होगा।
ज्योतिष शास्त्र का मत
यद्यपि ज्योतिषियोंकी मानें तो यद्यपि भारत में सूर्य ग्रहण नही दिखेगा परन्तु इसका असर विभिन्न राशियों पर अवश्य पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार इस बार यह ग्रहण सिंह राशि पर पड़ेगा, परिणाम स्वरुप चंद्रमा सबसे ज्यादा पीड़ित रहेगा। जिन लोगों में कालसर्प दोष हो, राहु-केतु की दशा चल रही हो उनके लिए ग्रहण अत्यंत प्रभावशाली होगा।
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