Wednesday, October 25, 2017

छठ पूजा विशेष: सूर्योपासना के महापर्व छठ पर्व का महत्व, और षष्ठी पूजा की कथा

 

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सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्व दीपावली के छह दिन बाद अर्थात कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पर्व आता है। इस पर्व को भारत के विभिन्न भागों में छठ, छठी, डाला छठ, डाला पूजा, सूर्य षष्ठी आदि अनेक नामों से पुकारा और मनाया जाता है।

छठ पूजा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंकाधीश रावण के वध के पश्चात दीपावली के दिन भगवान राम अयोध्या पहुंचे और उन्हें वहां का राजा बना दिया गया। रावण वध के पाप से मुक्ति के लिए भगवान श्री राम ने राज पुरोहित की सलाह से राज सूर्य यज्ञ का महा आयोजन किया। इस यज्ञ के आयोजन हेतु   अयोध्या में मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया गया। मुग्दल ऋषि ने माता सीता को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान् सूर्यदेव की उपासना करने की सलाह दी। मां सीता मुग्दल ऋषि के बताये उपाय के अनुसार ही मुद्गल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक भगवान सूर्यदेव की उपासना की और भगवान् राम को रावण वध के पाप से मुक्ति दिलवाई।  तब से ही यह पर्व छठ पूजा पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा अथवा षष्ठी का पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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