कार्तिक मास स्नान इस वर्ष शुक्रवार ६ अक्टूबर से प्रारंभ होगा व ४ नवंबर
तक चलेगा। इस अवधि में पूरे एक मास तक मंदिरों में पूजा व धार्मिक अनुष्ठान
निरंतर चलेंगे। प्रख्यात पंडित और शास्त्री महावीर प्रसाद शर्मा ने वैदिक
भारत को बताया कि कार्तिक मास को हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ और फलदायी मास
माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास, माघ मास और कार्तिक
मास का स्नान व दान करना अति श्रेष्ठ और शुभ फलदायी होता हैं। इस वर्ष
कार्तिक मास ६ अक्टूबर से प्रारम्भ होकर ४ नवम्बर को संपन्न होगा
सम्पूर्ण कार्तिक मास स्नान एवं व्रत विधि
प्रख्यात पंडित और शास्त्री महावीर प्रसाद शर्मा के अनुसार पूरे कार्तिक मास के दौरान यदि संभव हो सके तो साधक को ब्रह्म मुहूर्त में नदी में गोता लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय गायत्री महामंत्र का जाप करने से स्नान की महत्ता और बढ़ जाती है। पूरे माह तुलसी पीपल और भगवान श्री विष्णु की पूजा व आराधना करनी चाहिए। पूरे मास एक समय भोजन करना चाहिए अर्थात उपवास करना चाहिए, और दुसरे समय का भोजन किसी निर्धन अथवा ब्राह्मण को करवाना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन निर्धनों को यथासंभव दान देना चाहिए, साथ ही बहन, भांजी, बुआ,भतीजी आदि को मुक्तहस्त से दान देने से अथाह पुण्य की प्राप्ति होती है।
यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो तो इसका प्रसार करके सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करने में अपनी सहभागिता करें। जय सनातन धर्म !
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प्रख्यात पंडित और शास्त्री महावीर प्रसाद शर्मा के अनुसार पूरे कार्तिक मास के दौरान यदि संभव हो सके तो साधक को ब्रह्म मुहूर्त में नदी में गोता लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय गायत्री महामंत्र का जाप करने से स्नान की महत्ता और बढ़ जाती है। पूरे माह तुलसी पीपल और भगवान श्री विष्णु की पूजा व आराधना करनी चाहिए। पूरे मास एक समय भोजन करना चाहिए अर्थात उपवास करना चाहिए, और दुसरे समय का भोजन किसी निर्धन अथवा ब्राह्मण को करवाना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन निर्धनों को यथासंभव दान देना चाहिए, साथ ही बहन, भांजी, बुआ,भतीजी आदि को मुक्तहस्त से दान देने से अथाह पुण्य की प्राप्ति होती है।
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