Sunday, June 10, 2018

इस मेजर ने दिया था चीनी फौज को चकमा, मार दिए थे सैकड़ों सैनिक

 







मेजर धन सिंह थापा का जन्म 10 अप्रैल, 1928 को शिमला में हुआ था। 28 अक्तूबर 1949 को वह एक कमीशंड अधिकारी के रूप में फौज में आए थे। 

धन सिंह थापा भले ही चीन की बर्बर सेना का सामना करने के बाद भी जीवित रहे, लेकिन युद्ध के बाद चीन के पास बन्दी के रूप में जो यातना उन्होंने झेली, उसकी स्मृति भर भी थरथरा देने वाली है। धन सिंह थापा इस युद्ध में पान गौंग त्सो झील के तट पर सिरी जाप मोर्चे पर तैनात थे। जहाँ उनके पराक्रम ने उन्हें परमवीर चक्र के सम्मान का अधिकारी बनाया।


कई दिनों पहाडियों में भटकते रहने के बाद थापा भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रविष्ट हुए और भारतीय सैनिक चौकी तक पहुंचे , घायल अवस्था में होने के बावजूद बुलंद हौंसले ने अन्य भारतीय जवानो में भी नव उत्साह का संचार कर दिया । अपने दुश्मनों से वीरता से लड़ने के कारण भारतीय सरकार ने सेना का सर्वोच्च सम्मान “परमवीर चक्र “ देकर धन सिंह थापा को सम्मानित किया . इस घटना के बाद भी धन सिंह थापा ने भारतीय सेना को अपनी सेवाए दी और सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए। 6 सितम्बर 2005 को इस वीर गोरखा सपूत ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 


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