Saturday, June 16, 2018

महाराणा प्रताप जयंती: स्वाभिमानी राष्ट्रनायक थे महाराणा प्रताप

 

जयपुर। महाराणा  प्रताप, ये एक ऐसा नाम है जिसके लेने भर से मुगल सेना के पसीने छूट जाते थे। एक ऐसा राजा जो कभी किसी के आगे नही झुका। जिसकी वीरता की कहानी सदियों के बाद भी लोगों की जुबान पर हैं। वो तो हमारी एकता में कमी रह गई वरना जितने किलों का अकबर था उतना वजन तो प्रताप के भाले का था। महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। 

महाराणा प्रताप का जन्म- 9 मई, 1540 ई. कुम्भलगढ़ में हुआ। महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रतिज्ञा के लिए अमर है। वे उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर 'मेवाड़-मुकुट मणि' राणा प्रताप का जन्म हुआ। वे अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तल्लीन रहे। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है।

प्रताप का घोड़ा, चेतक हवा से बातें करता था। उसने हाथी के सिर पर पैर रख दिया था और घायल प्रताप को लेकर 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था।  

प्रताप का सेनापति सिर कटने के बाद भी कुछ देर तक लड़ता रहा था।

प्रताप ने मायरा की गुफा में घास की रोटी खाकर दिन गुजारे थे।

नेपाल का राज परिवार भी चित्तौड़ से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता हैं।

प्रताप के घोड़े चेतक के सिर पर हाथी का मुखौटा लगाया जाता था. ताकि दूसरी सेना के हाथी Confuse रहें।

प्रताप निहत्थे दुश्मन के लिए भी एक तलवार रखते थे।

अकबर ने एक बार कहा था की अगर महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया मेरे साथ होते तो हम विश्व विजेता बन जाते।




आज हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां की जमीनो में तलवारे पायी जाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी।

30 सालों तक प्रयास के बाद भी अकबर, प्रताप को बंदी न बना सका। प्रताप की मौत की खबर सुनकर अकबर भी रो पड़ा था।

महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। इनका नाम प्रताप  और इनके पिता का नाम राणा उदय सिंह  था।

प्रताप का वजन 110 किलो और हाईट 7 फीट 5 इंच थी।

प्रताप का भाला 81 किलो का और छाती का कवच का 72 किलो था। उनका भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था।

प्रताप ने राजनैतिक कारणों की वजह से 11 शादियां की थी। 

महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के Museum में सुरक्षित हैं।

अकबर ने राणा प्रताप को कहा था की अगर तुम हमारे आगे झुकते हो तो आधा भारत आप का रहेगा, लेकिन महाराणा प्रताप ने कहा मर जाऊँगा लेकिन मुगलों के आगे सर नही नीचा करूंगा।

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