भारतीय सभ्यता संस्कृति सबसे प्राचीन है और भारत तत्कालीन विश्वगुरु था ये बात समस्त विश्व जानता और मानता भी है |
प्राचीन काल में भारत पूरे विश्व को ज्ञान केmaarg का प्रदर्शक था इसमें कोई संदेह नहीं है, जीवन चर्या से जुडी हर वास्तु और सेवा का उद्गम स्थल भी भारत ही था, और पूरा विश्व उसका अनुसरण करता था, किन्तु विदेशी आक्रांताओं के बार आक्रमण और पराधीनता के दंश ने भारत की समस्त विरासत को छीन लिया और पाश्चत्य देश और मुग़ल उस विरासत के मालिक बन बैठे |
उन लोगों ने भारतीयों की जीवन शैली को इस प्रकार से बदल दिया की आज हमारे देशवासी घटिया से घटिया वस्तुओं को उपयोग में लेकर इठलाते है और इनको उपयोग में लेना अपना सौभाग्य समझते है, उन्ही वस्तुओं में से एक चीनी भी है |
प्राचीनlog गन्ने के शुद्ध रास से बने गुड़ का इस्तेमाल करते थे जो की आयुर्वेद के अनुसार एक औषधि भी है, किन्तु जैसे जैसे लोग विदेशी संस्कृति के जाल में फंसते गए, गुड़ की जगह अधिकाधिक चीनी का उपयोग करने लगे | चीनी बनाने की सबसे पहली मिल अंग्रेजो ने 1868 मेँ लगाई थी ।उसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और कभी बीमार नहीँ पड़ते थे ।
चीनी एक जहर है जो अनेक रोगों का कारण है, जानिये कैसे
चीनी बनाने की प्रक्रिया में गंधक का सबसे अधिक प्रयोग होता है, गंधक माने पटाखों का मसाला, गंधक अत्यंत कठोर धातु है जो शरीर मेँ चला तो जाता है परंतु बाहर नहीँ निकलता ।चीनी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाती है जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है ।
चीनी शरीर के वजन को अनियन्त्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है ।
चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है, चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है ।
चीनी की मिठास को आधुनिक चिकित्सा मेँ सूक्रोज़ कहते हैँ जो इंसान और जानवर दोनो पचा नहीँ पाते ।
चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ तेइस हानिकारक रसायनोँ का प्रयोग किया जाता है ।
चीनी डाइबिटीज़, पेट की जलनका एक प्रमुख कारण है, चीनी शरीर मे ट्राइ ग्लिसराइड को बढ़ाती है ।
चीनी पेरेलिसिस अटैक या लकवा होने का एक प्रमुख कारण है।
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