बिहार की राजनीति में आये राजनीतिक भूचाल का समापन आज शाम को ६ बजे हो गया। आज शाम ६ बजे बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने सभी अनुमानों के विपरीत स्वयं राज्यपाल जी से मिलकर इस्तीफा सौंपकर देश में एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है, नीतीश कुमार ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए आज कहा की- "महागठबंधन धर्म का पालन बखूबी निभाया, और ऐसे कई कार्य जनहित में किये जिसकी अपेक्षा जनता को हमसे थी, शराब बंदी से लेकर, पानी, बिजली और अनेकों जनकल्याण कारी कार्य किये , किन्तु कुछ समय से जो घटनाक्रम सामने आया ऐसे माहौल में काम करना मेरे लिए असंभव हो गया था ।
हमने किसी से इस्तीफा नहीं माँगा हमने केवल लालू जी से इतना आग्रह किया कि राज्य हित में इस पर कदम उठाये जाए जिस से की जनता को इस घटनाक्रम के कारण पैदा हुए अविश्वास का उत्तर जनता को मिल पाए, किन्तु इतने समय तक इंतज़ार करने के बाद भी हमें लालू जी से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पा रहा था, मेरी अंतरात्मा मुझे ऐसे माहौल में कार्य करने की अनुमति नहीं दे रही थी।
भ्रष्टाचार का पक्ष लेने की कीमत पर हम कोई कार्य नहीं कर सकते, मैंने नोटबंदी का समर्थन किया, तो मेरी आलोचना हुई, बेनामी संपत्ति के समर्थन पर मेरी आलोचना हुई, जब मैंने बिहार तत्कालीन राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद जी का राष्ट्रपति चुनाव पर समर्थन किया तो भी मेरी आलोचना हुई, गठबंधन धर्म निभाने की जिम्मेदारी किसी एक दल की नहीं हो सकती।
हम सदैव भ्रष्टाचार के विरोधी रहे है, यदि सहयोगी दाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का कारण जनता का सरकार में अविश्वास पैदा होता है तो यह हमारी विचारधारा के विपरीत परिस्थिति है , ऐसे जनविरोध के बीच सरकार चलाना हमारे लिए संभव नहीं है , हम तो शुरू से ही कहते आये है की अनीति से धन कमाकर हम राजनीति करने के खिलाफ है, और ना हम भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच किसी के साथ खड़े रह सकते है, २० माह हमने मजबूती और प्रशासनिक दक्षता से सरकार चलाई जिस पर किसी प्रकार के आरोप नहीं लगे।
अतः जब इस तरह के आरोपों का खंडन हमारी सरकार में शामिल दल नहीं कर रहे थे तो हमारी अंतरात्मा की आवाज़ पर हमने इस्तीफ़ा महामहिम राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी जी सौंप दिया , ये इस्तीफा सौंपने से पहले मैंने सभी सहयोगी दलों को व लालू जी को बता दिया था
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